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नेशनल

करूणा ‘निधन’: ऐसा जनसैलाब शायद ही कभी देखा हो, 2 की मौत, 35 घायल

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चेन्नई। द्रमुक नेता एम. करुणानिधि की अंतिम झलक पाने के लिए बुधवार को यहां राजाजी हॉल के बाहर उमड़ी हजारों की भीड़ में अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। 35 लोगों को मामूली चोट आईं हैं। राजीव गांधी सरकारी अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, कुचलने के कारण आई चोटों से दो व्यक्तियों की मौत हो गई, जिन्हें अस्पताल लाया गया था।

एक महिला की पहचान शनबगाम के रूप में हुई है जबकि एक पुरुष की पहचान अभी नहीं हो पाई है। मृत महिला की उम्र 60 वर्ष बताई जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि अन्य 35 लोगों को भी अस्पताल लाया गया है, जिन्हें मामूली चोटे आई हैं। कुछ लोग डिहाइड्रेशन के शिकार हैं। उनका उपचार किया जा रहा है।

भगदड़ के बारे में बताते हुए घटनास्थल पर एक शख्स ने कहा, सुबह से ही भीड़ के कारण बहुत ज्यादा धक्का-मुक्की हो रही थी। हादसा उस वक्त हुआ, जब द्रमुक नेता और करुणानिधि के बेटे एम.के. स्टालिन भीड़ से शांत रहने की अपील कर रहे थे। भीड़ तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के शव के करीब जाने का प्रयास कर रही थी।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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