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प्रादेशिक

सुशासन दिवस को लेकर कोई फैसला नहीं : गोवा

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पणजी| गोवा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने क्रिसमस (25 दिसंबर) को सुशासन दिवस के रूप में मनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना और भाजपा के विवादित व कड़े आदेश का उल्लंघन करते हुए कहा है कि इसने इस पर कोई फैसला नहीं किया है। गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने मंगलवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।

निर्दलीय विधायक विजय सरदेसाई के यह पूछे जाने पर कि क्या गोवा सरकार 2015 और आगे के सालों में 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाएगी। पारसेकर ने इस पर कहा, “इस मुद्दे पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।”

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पिछले साल दिसंबर में अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाने की पहल की थी।

इसके तहत भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भाजपा शासित राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यो की जानकारी देने तथा केंद्र सरकार की तरफ से तैयार किए गए प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा था।

यह कदम केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की उस कोशिश के तुरंत बाद उठाया गया था, जिसमें 25 दिसंबर को स्कूल खोलने और सभी छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। इस पहल की देशभर में विशेषकर विपक्षी पार्टियों ने निंदा की थी और उनका कहना था कि भाजपा नीत गठबंधन सरकार ईसाइयों की भावना को चोट पहुंचा रही है, जो इस दिन क्रिसमस मनाते हैं।

इस दबाव के कारण भाजपा नीत गोवा की गठबंधन सरकार ने सुशासन दिवस के एजेंडे का त्याग कर दिया और पारसेकर ने 2014 के 25 दिसंबर को सुशासन दिवस नहीं मनाया था। गौरतलब है कि इस राज्य में ईसाइयों की आबादी 26 फीसदी से अधिक है।

पारसेकर ने कहा था, “हमने अपने सर्वोच्च कमान को इसकी जानकारी दी है कि हम 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाने में सक्षम नहीं हैं। लेकिन हम इसे 25 दिसंबर से पहले या बाद में मनाएंगे।”

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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