नेशनल
टीबी उन्मूलन के लिए सभी एकजुट हों : राष्ट्रपति
नई दिल्ली | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को सभी देशवासियों का आह्वान किया कि वे तपेदिक (टीबी) के अभिशाप को समाप्त करने के लिए एकजुट हों। प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व तपेदिक दिवस पर राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, “विश्व तपेदिक दिवस पर देश से तपेदिक (टीबी) के अभिशाप को समाप्त करने के लिए मैं सभी भारतीयों से एकजुट होकर कार्य करने का आग्रह करता हूं।”
उन्होंने कहा, “टीबी प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है जिससे हमारे देश में मुख्य रूप से युवा और कामकाजी लोग प्रभावित हैं। यह दुर्भाग्य है कि देश में आज भी इस बीमारी के कारण प्रति दो मिनट में एक व्यक्ति की मौत होती है। इस बीमारी के इलाज और बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने की अत्यंत आवश्यकता है। इस बीमारी के लिए अनुसंधान और इलाज को भी प्रोन्नत किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम से 8.6 करोड़ लोगों का परीक्षण, 1.9 करोड़ मरीजों का इलाज और 34 लाख लोगों का जीवन बचाया जा सका है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 1993 में की गई थी।” उन्होंने कहा, “विश्व तपेदिक दिवस पर मैं सभी हितधारकों से आग्रह करता हूं कि वे हमारे देश में टीबी से कोई भी मृत्यु न हो इस लक्ष्य को कम से कम समय में हासिल करने के प्रयासों के प्रति समर्पित रहें।”
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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