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नेशनल

मुसलमानों ने पेश की मिसाल, इस मस्जिद में केवल नमाज नहीं वेद और बाइबल भी पढ़ी जाती है

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नई दिल्ली। भारत में लगातार बढ़ती चली जा रही मॉब लिंचिंग देश के लिए एक बेहद गंभीर समस्या है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपको यकीन हो जाएगा कि आज भी देश में गंगा-जमुनी तहजीब लोगों के दिलों में बसती है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

हम बात कर रहे हैं असम की एक जामा मस्जिद की जहां नमाज ही नहीं बल्कि दूसरे धर्मों का भी बराबर सम्मान दिया जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असम की इस मस्जिद में बाकी धर्मों और उनकी किताबों को बराबर सम्मान दिया गया है।

इस मस्जिद की खासियत जानकर हर कोई सोशल मीडिया पर इसकी तारीफ कर रहा है। यह जामा मस्जिद असम के काचर जिले में है। मस्जिद के सेकेंड फ्लोर पर कई अलमारियां है जिसमें कई घर्मों के किताब एक साथ रखी गईं हैं।

यहां की लाइब्रेरी में कुरान, इस्लाम धर्म से जुड़ी किताबों के आलावा ईसाई दर्शन, वेद, उपनिषद, रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की बायोग्राफी और  रविंद्रनाथ टैगोर व सरत चंद्र चट्टोपाध्‍याय के उपन्‍यास भी मौजूद हैं।

नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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