नेशनल
अभी-अभीः बॉलीवुड और छोटे पर्दे की मशहूर एक्ट्रेस के निधन से इंडस्ट्री में शोक की लहर
मुंबई। फिल्म और टेलीविजन की मशहूर एक्ट्रेस रीता भादुड़ी का मंगलवार को निधन हो गया। वह 62 वर्ष की थीं। वैसे तो रीता के नाम ऐसी दर्जनों फिल्में और सीरियल्स हैं लेकिन इन दिनों टीवी पर आने वाले शो ‘निमकी मुखिया’ के किरदार से उनहें खासी लोकप्रियता हासिल हुई थी। आपको बता दें कि रीता लंबे समय से किडनी की समस्या से पीड़ित थीं। पिछले एक सप्ताह से वह अस्पताल में भर्ती थीं। बता दें कि किडनी की समस्या की वजह से रीता विले पार्ले के सुजय अस्पताल में डायलिसिस पर थी। सूत्रों के मुताबिक रीता ने देर रात 1.30 बजे अंतिम सांस ली।
अपने पांच दशक के करियर में रीता ‘कभी हां कभी ना’, ‘क्या कहना’, ‘दिल विल प्यार व्यार’ और ‘मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं। उन्होंने गुजराती फिल्मों में भी काम किया है।
वह कई टेलीविजन धारावाहिकों में भी नजर आ चुकी हैं, ‘निमकी मुखिया’ में वह परिवार की दादी इमरती देवी की भूमिका में नजर आ रही थीं।
We deeply regret to inform you that Reeta Bhaduri has departed for her journey beyond. The funeral rites will be held on…
Gepostet von Shishir Sharma am Montag, 16. Juli 2018
अभिनेता शिशिर शर्मा ने रीता के निधन की खबर अपने फेसबुक अकाउंट से दी। उन्होंने लिखा “हमें आपको यह सूचित करते हुए बहुत अफसोस है कि रीता भादुड़ी हमारे बीच नहीं रहीं। बेहद दुखद है। हमने एक अद्भुत इंसान को खो दिया। हम सबके लिए वह मां की तरह थीं, हम आपको मिस करेंगे मां।” उन्होंने बताया कि उनकी अंत्येष्टि मंगलवार दोपहर 12 बजे होगी।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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