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अन्तर्राष्ट्रीय

जिस चीज़ पर है आपको गर्व उसमें पाकिस्तान से भी पीछे है अपना देश

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नई दिल्ली। आज जब देश के हर व्यक्ति की जेब में एंड्रॉयड मोबाइल और 4जी नेटवर्क मौजूद है ऐसे में गर्व करना तो बनता है। हमें गर्व है कि आज हमारा देश 4जी सुपरफास्ट स्पीड वाला इंटरनेट इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन यकीन मानिए सच्चाई जानकर आपको कतई गर्व नहीं होगा। भारतीय इंटरनेट यूज़र्स के सामने बफरिंग की समस्या इतनी आम हो गई है कि अब इसे कोई समस्या मानता ही नही हैं लेकिन अगर हम आपको बताएं कि इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत अपने कुछ पड़ोसी देशों से बहुत पीछे है और इन पड़ोसी देशों में पाकिस्तान भी है तो आपको बफरिंग एक विकराल समस्या लग सकती है।

हमारे देश में 4G LTE यानी लॉन्ग टर्म ईवॉल्यूशन की औसत स्पीड 6.1Mbps है वहीं दुनिया के बाकी देश जैसे श्रीलंका, पाकिस्तान, मयांमार इंटरनेट स्पीड के मामले में हमसे कहीं आगे हैं। वैश्विक स्तर पर मोबाइल डेटा स्पीड का ग्लोबल औसत 17Mbps है। यूके की इंटरनेट स्पीड टेस्टर कंपनी ओपनसिग्नल के टेस्ट के आधार पर श्री लंका की इंटरनेट स्पी़ड 13.95Mbps, पाकिस्तान की इंटरनेट स्पी़ड 13.56Mbps और मयांमार की इंटरनेट स्पी़ड 15.56Mbps है। ये देश विकसित बाजारों की सूची में कहीं पीछे हैं लेकिन इंटरनेट स्पीड के मामले में ये दुनिया के अग्रणी देशों के करीब हैं। इंटरनेट स्पीड के मामले में कुछ देश विश्व में सबसे अग्रणी हैं, जैसे अमेरिका में 16.31Mbps, यूके में 23.11Mbps, और जापान में 25.39Mbps की स्पीड मुहैया हो रही है।

अमेरिका की इंटरनेट स्पीड टेस्टर कंपनी ऊकला ने दुनिया के 124 देशों की रैंकिंग लिस्ट तैयार की है। इस सूची में भारत को 109वां स्थान मिला है। भारत में इंटरनेट डाउनलोडिंग की औसतन स्पीड 9.12Mbps है, जो वैश्विक औसत 23.54Mbps से कहीं ज्यादा नीचे है। ऊकला के स्पोक्सपर्सन एडरियान बल्म ने कहा कि भारत में इंटरनेट की धीमी स्पीड का एक कारण यह भी है कि वह बड़े घनत्व में रहने वाली आबादी को इंटरनेट सर्विस मुहैया करा रहा है। इनती भारी डिमांड के स्तर पर जब आप उपभोक्ताओं को डेटा स्पीड मुहैया कराते हैं, तो उसकी पूर्ति करना एक बड़ी चुनौती हमेशा ही रहता है।

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान में अपने नागरिकों की मौत से भड़का चीन, घटना की गहन जांच की मांग की

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अपने चार नागरिकों की हत्या के बाद चीन भड़का हुआ है। गृह मंत्री मोहसिन नकवी हमले के तुरंत बाद चीन के दूतावास पहुंचे और राजदूत जियांग जैदोंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी हमले की कड़ी निंदा की, उन्होंने हमले को पाक चीन की दोस्ती को नुकसान पहुंचाने की साजिश बताया।

चीनी नागरिकों पर हुए हमले पर सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान के अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने कहा है कि यह हमला पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी की तरह है। ये बताता है कि पाकिस्तान को अभी सुरक्षा क्षेत्र में बहुत काम करने की जरूरत है। ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित लेख में उन्होंने इस हमले को उस हमले की कॉपी बताया जो 2021 में किया गया था, जिसमें 9 चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी। इस लेख में ये भी कहा गया है कि इस तरह के हमले बताते हैं कि आतंकी ताकतें चीन और पाकिस्तन के आर्थिक गलियारे की सफलता नहीं देखना चाहती हैं और लगातार इसे विफल करने की साजिश रच रही हैं।

उधर अपने नागरिकों की मौत के बाद चीन ने घटना की गहन जांच की मांग भी कर डाली है। पाकिस्तान स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान में कहा, “पाकिस्तान में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने आपात कार्य शुरू कर दिया है और पाकिस्तानी पक्ष से हमले की गहन जांच करने, दोषियों को कठोर सजा देने तथा चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए व्यावहारिक और प्रभावी उपाय करने की मांग की है।”

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