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ये हैं भारत के अब तक के सबसे बड़े घोटाले, आप भी जरूर जानिए

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भारत में अक्सर घोटालों की खबरें सुर्खियों में रहती हैं। अभी हाल ही में देश के दो सबसे बड़े घोटालों पर न्यायालय ने फैसला दिया है जिसमें एक घोटाला न्यायालय के मुताबिक हुआ ही नहीं जबकि दूसरे में आरोपी को सज़ा मिली है। भारत मे घोटालों का इतिहास समृद्ध रहा है। यहां घोटाले भी कोई मामूली नहीं होते। यकीन मानिए घोटालों की रकम जानकर आपके होश निश्चित ही उड़ जाएंगे। तो चलिए जानते हैं भारत के टॉप घोटालों के बारे में –

साभार – INTERNET

सुरेश कलमाड़ी – साल 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स आपको याद ही होगा यह हमारे देश का सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ा घोटाला माना गया है। कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए 70 हज़ार करोड़ रुपया दिया गया था। लेकिन 35000 हज़ार रुपये खर्च हुए और आज तक बाकी रुपए कहां गए पता भी नहीं चला।

साभार – INTERNET

लालू प्रसाद यादव – बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव अभी पशुपालन घोटाले के केस में अभी जेल में बंद है। क्योंकि क्योंकि इन पर चारा घोटाले के 950 करोड़ रुपये का आरोप है। जिसे कोर्ट ने सही बताते हुए उन्हें दोषी की सजा दी है।

साभार – INTERNET

ए राजा – यूपीए सरकार मैं कैबिनेट मंत्री रहते हुए उन्होंने एक कर 1,76000 करोड़ रुपए का घोटाला किया। जो महाघोटाला के नाम से जाना जाता है। इस घोटाले को हम लोग 2G के नाम से जानते हैं। इसी वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा। हालांकि दिसम्बर 2017 में CBI कोर्ट ने इस मुकद्दमे के सभी आरोपियों को रिहा कर दिया और कहा की ये ग़लत मुकद्दमा किया गया था। वास्तव में ये घोटाला हुआ ही नहीं था।

साभार – INTERNET

मायावती – अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने अनेक घोटाले किए सभी घोटाले एक पर एक था। लेकिन पॉलिटिकल एप्रोच के कारण वे कभी भी जेल नहीं जा सकी।

साभार – INTERNET

शरद पवार – महाराष्ट्र में बीसीसीआई की राजनीति की सबसे बड़ी नाम कहे जाने वाले शरद पवार पर जमीन घोटाले, तेलगी घोटाले व गेहूं घोटाले का आरोप लग चुका है। लेकिन राजनीतिक ताकत की वजह से आज तक उन पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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