नेशनल
हर फिल्म शुक्रवार को ही क्यों रिलीज़ होती हैं, वजह जानकर हैरान रह जाएगें आप
अक्सर आपके जेहन में एक सवाल जरूर आता होगा। सवाल यह कि आखिर शुक्रवार को ही बॉलीवुड की सभी फिल्में क्यों रिलीज की जाती है। इसके पीछे आखिर वजह क्या है। तो चलिए आज पूरे विस्तार से आपको बताते हैं कि आखिर क्यों शुक्रवार को ही बॉलीवुड फिल्में रिलीज की जाती हैं।
हॉलीवुड में फिल्म ‘गॉन विद द विंड’ 15 दिसंबर, 1939 को शुक्रवार के दिन ही रिलीज हुई थी। तभी से हर फिल्म वहां शुक्रवार को ही रिलीज होने लगी। जबकि भारत में 50 के दशक तक फिल्में शुक्रवार को ही रिलीज हों ऐसा नहीं था।
ऐतिहासिक फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ ऐसी फिल्म थी जो 5 अगस्त, 1960 को शुक्रवार के दिन रिलीज हुई थी। इसके बाद से धीरे-धीरे बॉलीवुड में भी सारी फिल्में फ्राइडे को ही रिलीज होने लगीं।
आइये जानते है इसके पीछे क्या है कारण –
- फ्राइडे को वीकेंड की शुरुआत माना जाता है, इसलिये फिल्मों को फ्राइडे के दिन रिलीज किया जाता है। हफ्ते के आखिरी में छुट्टी होने के चलते लोगों के पास ज्यादा वक्त होता है और इसके चलते दूसरे दिनों से ज्यादा दर्शक फिल्म देखने आते हैं।
- हिंदू मान्यताओं की माने तो शुक्रवार का दिन ‘धन की देवी लक्ष्मी’ का दिन होता है जिसके चलते फिल्ममेकर-प्रोड्यूसर फिल्म को शुक्रवार को रिलीज करते हैं ताकि फिल्म अच्छी कमाई कर सके।
- फ़िल्म फ्राइडे को रिलीज होती है और इसकी रिव्यु भी बहुत जल्द आ जाती है। एक तरह से माने तो वीकेंड पे ये पता चल जाता है वो फ़िल्म देखें या अपने पैसे बचाये।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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