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एक मरती हुई मां और करोड़ों मौन बेटे.. विचलित कर सकती हैं तस्वीरें

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नई दिल्ली। प्राणदायिनी गंगा कहें, पापकटनी गंगा कहें या मोक्षदायिनी गंगा, एक समय पर गंगा का महत्व भारतीयों के लिए किसी मां से कतई कम नहीं था। लेकिन आज गंगा हमारे लिए एक नदी से कहीं ज़्यादा मगर एक मां से कुछ कम है। हम ऐसा इसलिए कह पा रहें हैं क्योंकि चीन की एक वेबसाइट पर हमें कुछ तस्वीरें मिलीं, जिन्हें देखकर आप भी भारत की एक मरती हुई मां का दर्द महसूस कर पाएंगे। गंगा की वर्तमान स्थिति और उसके तमाम कारणों पर स्टोरी की हमारे साथी देवांशू ने। पढ़िए देवांशू मणि तिवारी की ये ख़ास मार्मिक रिपोर्ट।

भारत में हर साल लाखों की संख्या में लोग गंगा स्नान करते हैं, इसके अलावा किसी मांगलिक कार्य व धार्मिक समारोह में गंगाजल का प्रयोग सबसे अहम माना गया है। पुराणों में यह बताया गया है कि गंगाजल के मात्र सेवन से ही मनुष्य की सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं। लेकिन चीन के मीडिया वेबसाइट पर दिखाई जा रही गंगा कि कुछ तस्वीरें आपको गंगाजल का सेवन करने से पहले एक बार सोचने को ज़रूर मजबूर करेंगी।

बनारस में गंगा के जल प्रवाह में खुलेआम बह रहे शव व जानवरों के कंकाल हमें डराते भी हैं और यह सोचने पर मजबूर भी करते हैं कि, जहां एकतरफ सरकार नमामि गंगे और नदियों की सफाई पर बड़ी-बड़ी डींगे हांकने से थक नहीं रही है वहीं दूसरी ओर गंगा का यह काला सच लोगों से बे-खबर है। चाइनीज़ बेवसाइट bbs.tianya.cn/m/post-worldlook-193345-1.shtml पर दिखाई जा रही ये तस्वीरें भले ही वर्ष 2008 की हों, लेकिन आज भी बनारस की गंगा के जलप्रवाह में ये नज़ारे आम हैं।

बनारस के रहने वाले सुरेंद्र बहादुर सिंह (निडर) के मुताबिक गंगा में तैरती हुई लाशें और मरे हुए जानवरों का देखा जाना कोई नई बात नहीं है। सुरेंद्र बताते हैं,” बनारस में इलेक्ट्रॉनिक शव दाह की व्यवस्था है , लेकिन कई बार दाह संस्कार न करवाकर हिंदू रीति रिवाज़ों के अनुसार मृत शरीर का गंगा में विसर्जन कर दिया जाता है। ये शरीर कुछ समय बाद फूल जाता है और गंगा की ऊपरी धारा में आकर तैरने लगता है।” वो आगे बताते हैं कि कई लोग इलेक्ट्रॉनिक शव दाह का खर्च नहीं उठा पाते हैं इसलिए वे मृत शरीर को गंगा में ऐसे ही प्रवाह कर देते हैं।

वर्ष 2008 से आज तक इस स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। वर्ष 2015 व 2017 में गंगा स्नान के लिए आए लोगों को बनारस के हरिश्‍चंद्र घाट, सेनिया घाट , मणिकर्णिका घाट और शास्त्री घाट पर तैरते नर कंकाल और जानवरों के शव (कार्कस) दिखाई दिए थे। इसके अलावा गंगा में सीवेज, प्लास्टिक की थैली और बोतलें, औद्योगिक अपशिष्ट, मानव कचरे, टैनरीज़ों से खारिज किए गए पदार्थ, कंस्ट्रक्शन कचरा, आंशिक रूप से अंतिम संस्कार वाले अधजले हुए शव, फूलों की हार, मानव अवशेष और साड़ी कारखानों से निकलने वाले कैमिकल भी मिलना आम बात है।

गंगा की गंदगी को साफ रखने के लिए सरकार ने कई योजना बनाई और अरबों रुपए खर्च किए। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट से 100 मीटर के दायरे को नो डेवलपमेंट ज़ोन (ग़ैर-निर्माण क्षेत्र) घोषित किया और नदी तट से 500 मीटर के दायरे में कचरा डालने पर जुर्माना लगाने जैसे कई निर्देश जारी किए पर इसका असर कहीं भी देखने को नहीं मिला। वर्ष 2017 में नगर निगम वाराणसी ने गंगा की सफाई के लिए कांफीडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी से हाथ मिलाया। इस कंपनी व्दारा बनाई गई घाटों की सफाई करने वाली ट्रैस स्कीमर मशीन का इलाहाबाद, कानपुर, मथुरा, वृंदावन व गढ़मुक्तेश्वर में अच्छा काम देखकर इसे बनारस में लगाने की योजना बनी। यह मशीन नदी में तैरते कूड़े, पॉलीथीन व अन्य बायोडिग्रेडेबल वेस्ट को अपने अंदर खींचकर नदी को साफ रखती है। यह मशीन हर दिन चार से पांच कुंतल कचरा खींचने की क्षमता रखती है, लेकिन अभी इस मशीन को लगाने का काम नहीं शुरू हो पाया है।

मोदी सरकार ने गंगा की सफाई के लिए 12 हज़ार करोड़ रुपए का बजट देने की बात कही थी , जिसमें वर्ष 2017 तक केवल 5,378 करोड़ रुपए ही बजट में दिए गए। दिए गए बजट में भी मंत्रालय ने अभी तक सिर्फ 1,836 करोड़ रूपए खर्च किए हैं। नमामि गंगे योजना की प्रभारी मंत्री उमा भारती ने पिछले वर्ष एक रैली को संबोधित करते हुए यह कहा था कि ” नमामि योजना का पैसा लेप्स नहीं होगा, इसके लिए मंत्रालय को बजट खर्च करने की कोई जल्दी नहीं है। अभी पैसे की बर्बादी से अच्छा है कि यह धन सरकारी खजाने में पड़ा रहे।”

चाइना में क्यूं दिखाई जा रहीं हैं ये भारतीय तस्वीरें:

गंगा में खुलेआम तैर रही इन लाशों को भले ही सरकार न देख पा रही हो, लेकिन इन तस्वीरों के ज़रिए चाइना में कई मीडिया बेवसाइट लोगों को नदियों में लापरवाही से कचरा फेकने की बुरी आदतों का नतीजा बताने और पानी में मिलकर कचरे से फैलने वाली जानलेवा बीमारियों के बारे में प्रभावी ढंग से समझा पा रही हैं।

गंगाजल का सेवन पड़ सकता भारी:

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की 12 प्रतिशत बीमारियों की वजह प्रदूषित गंगा का जल है। गंगा में तैरती हुई लाशें और बायोडिग्रेडेबल वेस्ट, गंगाजल को दूषित करने के साथ साथ इसे लोगों को बीमार करने वाला कारण बनता जा रहा है। इस बारे में लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. दीपक मालवीय बताते हैं,” गंगा में फैल रहे प्रदूषण का खामियाजा उसके आस पास रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ सकता है। तैरते हुए कचरे से युक्त पानी पीने से लोगों को भयानक स्किन इंफेक्शन, डायरिया और कई वाटर बॉर्न बीमारियां हो सकती हैं। ये बीमारियां अगर बड़ा रूप ले लेती हैं, तो इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है।”

इलेक्ट्रॉनिक शव दाह क्यों है ज़रूरी:

गोमती सहित कई नदियों की सफाई पर बड़े स्तर पर काम कर चुके डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता बताते हैं, ” इलेक्ट्रॉनिक शव दाह ग्रह में डेडबॉडी एक उचित तापमान पर जलती है। इसका फायदा यह होता कि जलने के बाद शरीर का बचा हुआ हिस्सा कैल्शियम क्वार्ट्ज जैसे तत्व में बदल जाता है। इस स्थिति में नदी में अस्थि विसर्जन करने से नदी का जल साफ रहता है और नदी में रहने वाले जीवों को भी भोजन मिल जाता है।”

नदी में गंदगी को बढ़ावा दे रही हैं धार्मिक भावनाएं:

बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के वरिष्ठ समाजशास्त्री सोहन राम यादव गंगा में फैल रही गंदगी को बढ़ाने का प्रमुख कारण पुराने रीति रिवाज़ और धार्मिक भावनाओं को मानते हैं। ” सदियों से लोग गंगा को मोक्ष दायनी मानते आए हैं। हिंदू धर्म में यह बताया गया है कि जिस मनुष्य की मृत्यु के बाद उसके शरीर को गंगाजल से धोकर उसका कर्म कांड किया जाता है उसे मुक्ति मिल जाती है। इसलिए अधिकतर लोग दाह संस्कार के बाद बचे हुए शरीर के अवशेष को गंगा में प्रवाह करते हैं। ”

समाज शास्त्री सोहन राम यादव आगे बताते हैं ,” घाट पर रहने वाले डोम राजा (लाशों को जलाने वाले) लोगों की लाश के क्रियाकर्म संस्कार को पूरा करने के लिए ज़्यादा पैसे की मांग करते हैं। इसलिए अधिकतर समाज में रहने वाले गरीब वर्ग के लोग मृत शरीर को बिना जलाए ही गंगा मेें प्रवाह कर देते हैं।”

पूरे भारत में गंगा में प्रदूषण की स्थिति एक जैसी:

भारत में धार्मिक महत्व के लिहाज से सबसे बड़ी नदी गंगा है। यह नदी पांच राज्यों ( उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल) में रहने वाली देश की 40 प्रतिशत आबादी को पानी उपलब्ध कराती है। नमामि गंगे परियोजना के मुताबिक इन पांच राज्यों के अलावा गंगा की सहायक नदियां हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के कुछ हिस्सों में भी बहती है। इन सभी राज्यों में कुल 118 शहरों में रोज़ाना पैदा होनेवाला गंदा पानी और बायो वेस्ट का करीब दो तिहाई हिस्सा किसी भी ट्रीटमेंट के बिना गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है, जिसकी वजह से नदी के पुनर्जीवित करने के कार्य में दिक्कत आ रही है।

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कल है रंगों का त्यौहार, जानिए होली पर क्यों पहना जाता है सफेद कपड़ा

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फाल्गुन माह के शुरू होते ही होली के त्यौहार को मनाने की प्लानिंग शुरुआत हो जाती है। होली का त्यौहार ही एक ऐसा त्यौहार है जो खुद के साथ – साथ दूसरों के भी जीवन में रंग भरने का मौका देता है। होली का त्यौहार आने में अब कुछ ही दिन बचे हैं इस वर्ष खेलने वाली होली यानि धुलेंडी का त्यौहार 25 मार्च को होगा। तो चलिए जानते हैं होली के दिन किस रंग के कपड़े पहले से मिलेगा मान सम्मान और प्रत्येक क्षेत्र में सफलता।

Festival of Colors | National Geographic Society

अक्सर देखा जाता है कि होली के दिन लोग सफेद कपड़े पहनकर होली खेलने के लिए निकलते हैं। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इस बात पर गौर किया हो कि होली के दिन आखिर क्यों लोग सफेद कपड़े ही पहनते हैं। वैसे होली पर सफेद रंग के कपड़े पहनने के कई कारण होते हैं। तो चलिए आज इसी बात को जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों सफेद रंग को ही होली जैसे रंगों भरे त्योहार के लिए चुना गया है।

Holi Festival - Colors of Spring

मन के साथ तन को उजला करने का त्यौहार है होली

Top 5 gifts of Holi

होलिका दहन जो कि रंग खेलने वाली होली के दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन उबटन इत्यादि लगाकर होलिका में प्रवाहित करने का प्रावधान है। यह इसलिए होता है कि होली में मन से बुरे विचारों को निकालकर और शरीर से मैल रूपी बुरी चीजों को निकाल दिया जाए। इस दिन लोगों के मन के साथ तन भी उजला हो जाता है और यदि इसके साथ दूसरे दिन सफेद वस्त्र धारण करके होली खेली जाए तो उसमें पड़ने वाला रंग सकारात्मक और रंग-बिरंगा ही दिखेगा। इसलिए भी होली के दिन सफेद रंग के कपड़े पहनकर होली खेलना शुभ माना जाता है।

सफेद रंग है भाईचारे और सुख-समृद्धि का प्रतीक

Celebrate Holi with an Indian Family in Jaipur 2022 - Viator

सफेद रंग हमें लड़ाई-झगड़े भूलकर अपनों को फिर से गले लगाना सिखाता है। सफेद रंग को शांति, सुख-समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। यह रंग हमारे दिमाग को शांत रखता है। लोग होली के दिन सफेद रंग पहनकर प्यार, भाईचारे और मानवता को दर्शाते हैं। इस दिन सफेद रंग पहनने से मन शांत रहता है। जिन लोगों को बात-बात में क्रोध आ जाता है उन्हें विशेषकर इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

अच्छाई की जीत मनाने के लिए सफेद रंग पहनना शुभ

What to Wear at Holi Festival 2022 Idea - Tips | Outfits | Caring Tips

सफेद रंग निष्पक्षता और अच्छाई का प्रतीक होता है। रंग वाली होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और होलिका दहन की कहानी हम सभी अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे में त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन भी य़दि सफेद कपड़े पहनकर होलिका जलाई जाए तो समाज में आपके स्वभाव को पसंद किया जाता है।

ग्रहों की नकारात्मकता को कम करने से सफेद रंग कारगर

Whites & Vibrants for the Carnival of Colors: "Holi Fashion Edition" – B Anu Designs

होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक लग जाता है। इस दौरान सभी मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं क्योंकि इस समय वातावरण में ग्रहों में नकारात्मकता बढ़ी हुई होती है। जिसको कम करने के लिए यदि सफेद रंग के वस्त्रों का प्रयोग किया जाए तो ग्रहों का नकारात्मक असर कम करने में मदद मिलती है और बिगड़े काम भी बनते हैं।

सफेद रंग देता है सूर्य की गर्मी से निजात

5 stylish outfit ideas to rock your Holi party | NewsBytes

होली का त्योहार उस समय आता है जब ठंडक जा रही होती है और मौसम में थोड़ी गर्माहट की शुरुआत हो जाती है। सूर्य की धूप तेज होने लगती है। लोग तेज धूप की वजह से पहले ही परेशान होते है । ऐसे में सफेद रंग हमें ठंडक पहुंचाता है। इसे पहनकर आप कड़कती धूप में आसानी से बाहर निकल सकते हैं।

घुल-मिलकर रहना सिखाता है सफेद रंग

HOLI 2022: HOW TO REMOVE HOLI COLOURS NATURALLY - Public Info जन सूचना

सफेद एक ऐसा रंग है जिस पर हर कलर खिलकर आता है। अब रंगों के इस त्योहार में सफेद से बेहतर और क्या हो सकता है। यह रंग हमें भी दूसरों के साथ घुल-मिलकर रहना सिखाता है। युवाओं को भी सफेद रंग काफी पसंद आता है। यह आपको एक क्लासी लुक भी देता है। जिससे लोगों के बीच आपका प्रभाव बढ़ता है। सफेद रंग पहनने से यश और कीर्ति भी बढ़ती है।

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