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बुराड़ी कांड : मौत के रजिस्‍टर के बाद सामने आई नई डायरी, खुले नए राज !

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दिल्ली : दिल्ली के बुराड़ी में हुए 11 मौतों पर सवाल दिन प्रतिदिन गहरा रहा है। हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में पुलिस को एक नई डायरी हाथ लगी है। यह ललित की भांजी प्रियंका की निजी डायरी है, जिसके पन्नों ने मौत की गुत्थी को और उलझा दिया है। पुलिस द्वारा की गई जांच में अब तंत्र-मंत्र और आत्मा से इतर प्रेम प्रसंग का नया पहलू सामने आया है।

खबर के मुताबिक, डायरी के कवर पेज पर सुंदर लड़की लिखा है और यह पेज दिल के आकार में कटा है। कटे हुए दिल के आकार का यह पेज सिल्वर पेपर से सजाया गया। प्रियंका ने अंदर मॉडल टाउन में रहने वाले एक युवक से दोस्ती और प्रगाढ़ संबंध का जिक्र करते हुए अपने मामा ललित से माफी मांगी है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, नई डायरी के सामने आने के बाद जांच को एक नई दिशा मिल सकती है। अब तक ललित के शरीर में पिता की आत्मा आने, तंत्र मंत्र आदि पर ध्यान केंद्रित करके ही जांच की जा रही थी।

अब इन पहलुओं के अलावा प्रेम संबंधों के नजरिये से भी मामले की जांच की जा सकती है। वहीं, जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों का कहना है कि डायरी में कही गई बातें कब लिखी गई हैं, इसका पता लगाया जा रहा है। हो सकता है कि यह डायरी पुरानी हो।

डायरी के पन्नों से –

  • बेहद सुंदर व आकार में छोटी डायरी में प्रियंका ने शुरुआत ही इस बात से की है कि मैं जो बात आपको बताने जा रही हूं, उससे मैं आपकी नजरों से गिर सकती हूं।
  • अगले पेज पर वह मॉडल टाउन में रहने वाले एक लड़के का नाम लिखते हुए उसे अपना दोस्त बताती है और यह भी लिखती है कि अब वह घर खाली करके जा चुका है।
  • इसके बाद आगे के पेज पर प्रियंका जीवन के बारे में मामा ललित द्वारा दी गई नसीहतों का जिक्र करती है।
  • यह भी भरोसा दिलाने की कोशिश करती है कि वह शादी के बाद अपने ससुराल में ठीक से रहेगी। वहां सबको खुश रखेगी और किसी को शिकायत का मौका नहीं देगी। इस डायरी के आखिरी के कुछ पेज खाली हैं।

इस डायरी के सामने आने के बाद पुलिस अब प्रियंका के दोस्त के बारे में पता लगाकर पूछताछ कर सकती है। पुलिस उस लड़के से पूछताछ कर यह भी जानकारी जुटाने की कोशिश करेगी कि क्या प्रियंका ने कभी मोक्ष प्राप्ति के इस विधि के बारे में चर्चा की थी।

पुलिस का कहना है कि डायरी में जिस लड़के का जिक्र है, वह प्रियंका का केवल दोस्त रहा है या फिर दोस्ती से आगे का भी रिश्ता था। उस लड़के के मिलने के बाद इसकी भी जानकारी जुटाई जाएगी।

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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