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नेशनल

71 साल की इस एक्ट्रेस की खूबसूरती के आगे फेल हैं कैटरीना और करीना

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बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री और टीवी होस्ट सिमी ग्रेवाल 90 के दशक की जानी मानी एक्ट्रेस है। इनका जन्म 17 अक्टूबर, 1947 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता जी एस ग्रेवाल आर्मी में ब्रिगेडियर थे। सिमी का बचपन इंग्लैण्ड में बीता इंग्लैण्ड में बचपन बिताने के बाद सिमी ग्रेवाल भारत वापस आ गईं।

साभार – इंटरनेट

सिमी ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत 1962 में फिल्म ‘राज़ की बात’ से किया था। 1968 में इन्होंने बॉलीवुड एक्टर राजेंद्र कुमार के साथ फिल्म ‘साथी’ में मुख्य एक्ट्रेस का किरदार निभाया।

साभार – इंटरनेट

साल 1980 में आई सुभाष घई की फ़िल्म ‘कर्ज’ ने बॉलीवुड में धमाका कर दिया। इस फ़िल्म का संगीत और ऋषि कपूर की एक्टिंग के लोग दीवाने हो गए। फ़िल्म में टीना मुनिम और सिमी ग्रेवाल भी मुख्य भूमिका में थीं। इस फ़िल्म में सिमी ग्रेवाल अपने ज़बरदस्त एक्टिंग के लिए आज भी याद की जाती हैं।

साभार – इंटरनेट

यह फिल्म सिनेमाघरों में अच्छी चली एवं इन्हें बेहतरीन एक्टिंग के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह एक्ट्रेस 71 साल की होने वाली है लेकिन फिर भी वह जवान दिखती है।

साभार – इंटरनेट

सिमी ग्रेवाल ने 1970 में बॉलीवुड फिल्म मेरा नाम जोकर, 1971 में फिल्म अंदाज, दो बूंद पानी, 1972 में फिल्म अनोखी पहचान, 1973 में अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म नमक हलाल, 1980 में ऋषि कपूर के साथ फिल्म कर्ज, इंसाफ का तराजू, 1981 में फिल्म नसीब जैसी कई सुपर हिट फिल्मों में काम किया।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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