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हिंदुओं की शादी में जो मुस्लिम करते हैं उसे जानकर हिंदू परिषद भी कलमा पढ़ने लगेगा

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जयपुर। मुस्लिम समुदाय के कारीगर सदियों से जिस कलात्मकता का इस्तेमाल कर्बला की जंग की याद में निकाले जाने वाले शोक जुलूस में शामिल होने वाले ताजिए के लिए करते रहे हैं, उसी कलात्मकता का उपयोग वे अब हिंदुओं का विवाह मंडप बनाने में कर रहे हैं। विवाह मंडप को वे कर्बला के मकबरे का शक्ल दे रहे हैं। ये कारीगर अधिकांश शिया मुसलमान हैं। कर्बला की जंग सातवीं शताब्दी में हुई थी, जिसमें पैगंबर मुहम्मद के नाती इमाम हुसैन अली मारे गए थे। उनकी याद में इराक के कर्बला शहर में एक मकबरा बनवाया गया है, जहां की मस्जिद दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में एक है। यह शिया मुसलमानों का पवित्र स्थल है। ताजिया इसकी ही प्रतिकृति है, जिसके साथ हर साल मुहर्रम में ताजिया जुलूस निकाला जाता है।

ताजिया की शक्ल में बने मंडपों में सैकड़ों हिंदू जोड़े जीवन-साथी बनने की कसमें ले चुके हैं। विवाह मंडप ही नहीं जन्मदिन की पार्टियों के लिए भी समारोह-स्थल को सजाने के लिए इस कलात्मकता का उपयोग होने लगा है। कारीगर मोहम्मद बिलाल अजीमुद्दीन ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, भारत में ताजिया बनाने की कला मध्य एशिया से आई और मुगल शासन के दौरान इसका प्रसार हुआ। बिलाल ने बताया कि हाल ही में उन्होंने मुंबई के होटल ग्रैंड हयात में हिंदू विवाह का एक मंडल बनाया है। उन्होंने कहा, ग्राहक हमसे कुछ उत्कृष्ट डिजाइन की अपेक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि कला के इस क्षेत्र में जाति या वर्ग कोई मायने नहीं नहीं रखता है। उन्होंने कहा, हमारी डिजाइन का इस्तेमाल हिंदुओं के विवाह समारोह और बच्चों के जन्मदिन की पार्टियों में भी होता है। ग्राहक सजी हुई मीनार को पसंद करते हैं। मीनार की आकृति ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया है और इसका चलन पूरे देश में देखा जा रहा है।

उन्होंने बताया कि कला के कई कद्रदानों ने अपने घरों, दफ्तरों में थीम पार्टी और कॉरपोरेट कार्यक्रमों में सजावट के लिए ताजिया से प्रेरित मीनार और बत्तियों का इस्तेमाल किया है। मूल रूप से ये कारीगर मुहर्रम का जुलूस निकालने के लिए ताजिया बनाते हैं। मुसलमान समुदाय के लिए असल में यह शोक का प्रतीक है, इसलिए कारीगर ताजिया बनाने के लिए कोई कीमत नहीं लेते हैं। मोहम्मद बिलाल अजीमुद्दीन कहते हैं-यह तो खुदा की सेवा है। अपने समुदाय में अजीमुद्दीन भाई के नाम से चर्चित बिलाल ने यह शिल्प कला अपने पिता से सीखी है। उन्होंने अपनी इस शिल्प कला को व्यावसायिक परियोजना का रूप दे दिया है, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है।

इस ताजिया समुदाय की किस्मत तब बदली, जब देश की एक अग्रणी डिजाइनर गीतांजलि कासवालीवाल ने पहली बार जयपुर में ताजिया जुलूस देखा और उन्होंने इस शिल्प को प्रसारित करने का फैसला किया। गीतांजलि की स्वामित्व वाली संस्था ‘अनंत्या’ अत्याधुनिक डिजाइन के फर्नीचर, कपड़े व अन्य वस्तुएं बनाने के लिए दुनियाभर में चर्चित है और इसे यूनेस्को पुरस्कार भी मिल चुका है। अनंत्या सदियों पुराने स्थानीय शिल्प के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। वह सड़कों पर ताजिया देखकर आकर्षित हुईं। इसके तुरंत बाद उनके पति की कंपनी एकेएफडी स्टूडियो को जब जयपुर विरासत हेरिटेज फेस्टिवल-2007 के दौरान पूरे शहर में मार्कर बनाने का ऑर्डर मिला, तो उनके मन में शहर के लिए ताजिया-प्रेरित डिजाइन का उपयोग करने का विचार आया।

गीतांजलि ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, हम इस कार्यक्रम के लिए मूर्ति जैसी कुछ कलाकृतियां पेश करना चाहते थे, जिससे मेहमान सांस्कृतिक शिल्प के बेहतरीन नमूने देखकर उनका आनंद उठा सकें। ताजिया कारीगरों को यह काम सौंपा गया, क्योंकि वे इस शिल्प के उस्ताद थे और प्रोजेक्ट के प्रमुख अजीमुद्दीन भाई थे। नौ बच्चों को साथ लेकर वे इस कार्य को पूरा करना चाहते थे। उन्होंने इस कार्य में अपनी बेहतरीन डिजाइन और हुनर पेश किया, जिससे उनको नाम और शोहरत के साथ-साथ धन भी मिला।

इसके बाद गीतांजलि ने अपनी बेटियों की जन्मदिन पार्टियों प्लास्टिक के गुब्बारे सजाने के बजाय, ताजिया प्रेरित सजावट की। ताजिया कारीगरों ने अपने हाथों से पार्टी स्थल को सजाया। गीतांजलि ने इस शिल्प कला को आगे प्रसारित करने का फैसला किया और कारीगरों को वर्ष 2009 में नई दिल्ली में अपनी बहन की शादी में विवाह मंडप सजाने का काम सौंपा। गीतांजलि ने कहा, उन्होंने इस काम को पूरे तन मन से किया, जिससे उन्हें अद्भुत प्रतिक्रिया मिली। हर कोई इन डिजाइनों की बात कर रहा था, जिसके बाद उनकी कला को पंख लग गए और उसका इतना प्रसार हुआ कि अब वह बुलंदियों पर है।

उन्होंने कहा,मुस्लिम कारीगरों द्वारा विवाह का मंडप सजाए जाने से हमारे परिवार में किसी ने कोई आपत्ति नहीं दर्ज की। सबने सजावट में उनकी निष्ठा और लगन की तारीफ की। इस कहानी का एक और सकारात्मक पहलू यह है कि ताजिया कारीगर जो कलाकृति बनाते हैं, उसमें कागज और बांस का इस्तेमाल होता है, जो पारिस्थितिकी संतुलन का महत्वपूर्ण संदेश देता है।

बिलाल ने बताया कि मंडप या पार्टी स्थल के आकार के अनुसार उनका पारिश्रमिक तय होता है, जोकि इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें कितना काम करना होगा और उसके लिए कितने लोगों की जरूरत होगी। बिलाल ने कहा, हमारे काम को देखकर ही हमें राजस्थान हेरिटेज वीक फेस्टिवल में सजावट का काम मिला। भारत में 2009 में जब आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो के प्रतिनिधिमंडल आए थे, तो हमने डिजाइन किया था। हमने बांस से स्टेज बनाया था, जिसकी काफी तारीफ की गई थी। बिलाल ने कहा, हम यही चाहते हैं कि सभी जातियों और समुदायों के लोग हमारे काम की तारीफ करें और दूसरों को भी इसके बारे में बताएं। इसके सिवा एक कमाने-खाने वाले कारीगर को और क्या चाहिए?

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कल है रंगों का त्यौहार, जानिए होली पर क्यों पहना जाता है सफेद कपड़ा

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फाल्गुन माह के शुरू होते ही होली के त्यौहार को मनाने की प्लानिंग शुरुआत हो जाती है। होली का त्यौहार ही एक ऐसा त्यौहार है जो खुद के साथ – साथ दूसरों के भी जीवन में रंग भरने का मौका देता है। होली का त्यौहार आने में अब कुछ ही दिन बचे हैं इस वर्ष खेलने वाली होली यानि धुलेंडी का त्यौहार 25 मार्च को होगा। तो चलिए जानते हैं होली के दिन किस रंग के कपड़े पहले से मिलेगा मान सम्मान और प्रत्येक क्षेत्र में सफलता।

Festival of Colors | National Geographic Society

अक्सर देखा जाता है कि होली के दिन लोग सफेद कपड़े पहनकर होली खेलने के लिए निकलते हैं। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इस बात पर गौर किया हो कि होली के दिन आखिर क्यों लोग सफेद कपड़े ही पहनते हैं। वैसे होली पर सफेद रंग के कपड़े पहनने के कई कारण होते हैं। तो चलिए आज इसी बात को जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों सफेद रंग को ही होली जैसे रंगों भरे त्योहार के लिए चुना गया है।

Holi Festival - Colors of Spring

मन के साथ तन को उजला करने का त्यौहार है होली

Top 5 gifts of Holi

होलिका दहन जो कि रंग खेलने वाली होली के दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन उबटन इत्यादि लगाकर होलिका में प्रवाहित करने का प्रावधान है। यह इसलिए होता है कि होली में मन से बुरे विचारों को निकालकर और शरीर से मैल रूपी बुरी चीजों को निकाल दिया जाए। इस दिन लोगों के मन के साथ तन भी उजला हो जाता है और यदि इसके साथ दूसरे दिन सफेद वस्त्र धारण करके होली खेली जाए तो उसमें पड़ने वाला रंग सकारात्मक और रंग-बिरंगा ही दिखेगा। इसलिए भी होली के दिन सफेद रंग के कपड़े पहनकर होली खेलना शुभ माना जाता है।

सफेद रंग है भाईचारे और सुख-समृद्धि का प्रतीक

Celebrate Holi with an Indian Family in Jaipur 2022 - Viator

सफेद रंग हमें लड़ाई-झगड़े भूलकर अपनों को फिर से गले लगाना सिखाता है। सफेद रंग को शांति, सुख-समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। यह रंग हमारे दिमाग को शांत रखता है। लोग होली के दिन सफेद रंग पहनकर प्यार, भाईचारे और मानवता को दर्शाते हैं। इस दिन सफेद रंग पहनने से मन शांत रहता है। जिन लोगों को बात-बात में क्रोध आ जाता है उन्हें विशेषकर इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

अच्छाई की जीत मनाने के लिए सफेद रंग पहनना शुभ

What to Wear at Holi Festival 2022 Idea - Tips | Outfits | Caring Tips

सफेद रंग निष्पक्षता और अच्छाई का प्रतीक होता है। रंग वाली होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और होलिका दहन की कहानी हम सभी अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे में त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन भी य़दि सफेद कपड़े पहनकर होलिका जलाई जाए तो समाज में आपके स्वभाव को पसंद किया जाता है।

ग्रहों की नकारात्मकता को कम करने से सफेद रंग कारगर

Whites & Vibrants for the Carnival of Colors: "Holi Fashion Edition" – B Anu Designs

होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक लग जाता है। इस दौरान सभी मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं क्योंकि इस समय वातावरण में ग्रहों में नकारात्मकता बढ़ी हुई होती है। जिसको कम करने के लिए यदि सफेद रंग के वस्त्रों का प्रयोग किया जाए तो ग्रहों का नकारात्मक असर कम करने में मदद मिलती है और बिगड़े काम भी बनते हैं।

सफेद रंग देता है सूर्य की गर्मी से निजात

5 stylish outfit ideas to rock your Holi party | NewsBytes

होली का त्योहार उस समय आता है जब ठंडक जा रही होती है और मौसम में थोड़ी गर्माहट की शुरुआत हो जाती है। सूर्य की धूप तेज होने लगती है। लोग तेज धूप की वजह से पहले ही परेशान होते है । ऐसे में सफेद रंग हमें ठंडक पहुंचाता है। इसे पहनकर आप कड़कती धूप में आसानी से बाहर निकल सकते हैं।

घुल-मिलकर रहना सिखाता है सफेद रंग

HOLI 2022: HOW TO REMOVE HOLI COLOURS NATURALLY - Public Info जन सूचना

सफेद एक ऐसा रंग है जिस पर हर कलर खिलकर आता है। अब रंगों के इस त्योहार में सफेद से बेहतर और क्या हो सकता है। यह रंग हमें भी दूसरों के साथ घुल-मिलकर रहना सिखाता है। युवाओं को भी सफेद रंग काफी पसंद आता है। यह आपको एक क्लासी लुक भी देता है। जिससे लोगों के बीच आपका प्रभाव बढ़ता है। सफेद रंग पहनने से यश और कीर्ति भी बढ़ती है।

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