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कांग्रेस ने ‘टुकड़े-टुकड़े’ के आह्वान को बोलने की आजादी बताया : जेटली
नई दिल्ली, 6 जुलाई (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कांग्रेस पर 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ‘अखंड भारत’ का समर्थन करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन करने और हाल ही में ‘टुकड़े-टुकड़े’ के आह्वान को एक वैधानिक ‘बोलने की आजादी’ मानने पर निशाना साधा। जेटली ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक मुखर्जी की 117वीं जयंती पर अपने फेसबुक पोस्ट में कहा, 1951 में संविधान में पहला संशोधन और 1963 में 16वें संशोधन ने बोलने की आजादी के अधिकार पर अतिरिक्त शर्तें थोपीं।
जेटली ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘अखंड भारत’ के विचार के खिलाफ थे, क्योंकि वह सोचते थे कि इससे युद्ध छिड़ सकता है। इस उद्देश्य के लिए मुखर्जी को आगे बढ़ने से रोकने का कोई चारा नहीं देख, नेहरू ने संविधान में पहला संशोधन कर दिया।
जेटली ने कहा, पहले संशोधन के तहत लगाई गई पाबंदी काफी व्यापक थी। इसने सरकार को वह ताकत दी, जिसके अंतर्गत ‘दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंध बिगड़ने की स्थिति में’ बोलने की आजादी को रोकने का अधिकार था।
मुखर्जी संगठित भारत के प्रमुख पक्षधर थे, जिसे वह ‘अखंड भारत’ कहते थे।
जेटली ने कहा, अप्रैल 1950 में ‘नेहरू-लियाकत समझौत’ के हस्ताक्षर होने से दो दिन पहले इसके विरोध में पहले कैबिनेट में उद्योग मंत्री मुखर्जी ने इस्तीफा दे दिया था और ‘नेहरू-लियाकत समझौते’ पर कड़ा विरोध जताया था।
भाजपा नेता ने कहा, नेहरू ने मुखर्जी की आलोचना पर अति-प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने अखंड भारत के विचार की व्याख्या एक संघर्ष के रूप में की, जिसके अंतर्गत देशों को बिना युद्ध के दोबारा संगठित नहीं किया जा सकता था।
जेटली ने कहा, मुखर्जी ने इसके विरोध में दावा किया था कि पाकिस्तान युद्ध चाहता है और जम्मू एवं कश्मीर में हमारे वैधानिक क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए पहले से ही युद्ध कर रहा है। इसलिए यह कहना कि अखंड भारत पर उनका भाषण युद्ध को न्यौता देगा, स्वीकार्य नहीं है।
जेटली ने कहा, हमारे विधिशास्त्र संबंधी क्रमिक विकास का विरोधाभाष है कि हम उनके लिए अलग मापदंड अपनाते हैं, जो भारत को विखंडित करना चाहते हैं। यह बहस हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘टुकड़े-टुकड़े’ के आह्वान के दौरान सामने आई थी।
मंत्री ने कहा, गत 70 वर्षो में, देश ने विभिन्न स्थितियों में बदलाव देखा है, जहां नेहरू संविधान में संशोधन करते हैं, क्योंकि ‘अखंड भारत’ की मांग युद्ध छेड़ सकती है और इसलिए इस पर रोक लगाई जाती है। इसके ठीक विपरीत, हम सभी को बताया गया कि बिना हिंसा किए देश को तोड़ने वाला बयान देना कानूनी रूप से बोलने की आजादी है।
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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया
दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।
वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।
यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।
फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।
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