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जल्दी से करें ये काम… नहीं तो कल से रद्दी हो जाएगा आपका पैनकार्ड, जुर्माना अलग से

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आज की तारीख में आपका पैनकार्ड सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है। पैनकार्ड की जरूरत लगभग हर लेनदेन में पड़ती है। लेकिन अगर आपने अपने पैनकार्ड को अपने आधार से लिंक नहीं किया है तो आज ही कर लीजिए क्योकि कल के बाद आधार से लिंक नही हुए पैनकार्ड रद्दी हो जाएंगे। यही नहीं साथ मे जो जुर्माना लगेगा वह अलग से।

पैन कार्ड एक ऐसा दस्तावेज है जो आपके फाइनेंशियल स्टेटस को भी दिखाता है। लेकिन, आपकी लापरवाही की वजह से पैन कार्ड  रद्दी  हो सकता है। जी हां, अगर 30 जून तक आपने एक जरूरी काम नहीं निपटाया तो आपका पैन कार्ड  रद्दी हो जाएगा। सरकार की तरफ से दिया गया ये आखिरी मौका है जब आप अपने पैन कार्ड को बचा सकते हैं।

साभार – INTERNET

अगर आपने अभी तक अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं किया है तो आपको कई टेंशन झेलनी पड़ सकती है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने पैन को आधार के लिंक करने की समयसीमा बढ़ाकर 30 जून कर दिया।

सीबीडीटी आधार से पैन को लिंक करने की तारीख चार बार बढ़ा चुका है। ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने के लिए आपको पहले अपने आधार कार्ड को पैन से जोड़ना होगा। सरकार ने पैन के साथ आधार को जोड़ना अनिवार्य बना दिया है।

साभार – INTERNET

अगर आपने अभी तक पैन और आधार को लिंक नहीं कराया है तो आपको भविष्य में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। सरकार पहले ही 11.44 लाख पैन कार्ड या तो बंद कर चुकी है या फिर उन्हें निष्क्रिय कैटेगरी में डाल दिया है। 30 जून की समय सीमा बीतने के बाद आधार-पैन लिंक नहीं होने पर आपके साथ भी ऐसा हो सकता है।

सरकार ऐसा करने के लिए पहले ही आगाह कर चुकी है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, ऐसा मुमकिन है कि सरकार अब इसे लिंक कराने की अंतिम तारीख को आगे न बढ़ाए। इसलिए समय रहते पैन-आधार को लिंक कर लें।

 

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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