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रूफ टॉप सोलर पैनल से बिज़ली हुआ सस्ता, साथ में बिजली बेच कर होगी कमाई भी
जिस तरह पूरी दुनिया मे ऊर्जा की डिमांड बढ़ती जा रही है ऐसे में सरकारें तेजी से वैकल्पिक ऊर्जा की ओर रूख कर रही हैं। वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत न सिर्फ सस्ते हैं बल्कि यह पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर हैं। आप भी अपने रूफ टॉप पर सोलर पैनल इंस्टाल करवा कर न सिर्फ सस्ती बिज़ली इस्तेमाल कर सकते हैं बल्कि बची हुई बिज़ली को बेचकर पैसे भी बना सकते हैं।
केंद्र सरकार द्वारा हर साल सोलर पावर प्लांट की बेंचमार्क कॉस्ट की घोषणा की जाती है। यह बेंचमार्क कॉस्ट अधिकतम होती है, इससे अधिक कीमत पर कोई भी ट्रेडर या इंडस्ट्री द्वारा सोलर पैनल की बिक्री नहीं की जा सकती। यह बेंचमार्क कॉस्ट ग्रिड कनेक्ट रूफटॉप सोलर पावर प्लांट की है।
अगर आप छत पर बनी सोलर एनर्जी को बेचना चाहते हैं तो आपको अपने एरिया की बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम्स) को बेच सकते हैं। इसके लिए आपको समझौता करना होगा, जिसे पावर परचेज एग्रीमेंट कहा जाता है। इसके बाद कंपनी आपके घर पर मीटर लगा देगी, इस मीटर में आपकी छत में लगे सोलर प्लांट से कितनी बिजली ग्रिड में सप्लाई की गई, उसका रिकॉर्ड दर्ज होगा।
सरकार द्वारा रेसिडेंशियल सेक्टर को 30 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। यानि कि अगर आप किसी कंपनी से बेंचमार्क कॉस्ट के हिसाब से 5 किलोवाट का सोलर प्लांट लगवाते हैं तो आपको 3 लाख रुपए पर 90 हजार रुपए की सब्सिडी मिल जाएगी। यानि 5 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाने पर 3 लाख रुपए का खर्च आएगा, जिसमें से 90 हजार रुपए आपको सब्सिडी के रूप में मिलेंगे। ऐसे में कुल इफेक्टिव लागत 2.10 लाख रुपए होगी।
सोलर पैनलों की उम्र 25 साल की होती है। यह बिजली आपको सौर ऊर्जा से मिलेगी। इसका पैनल भी आपकी छत पर लगेगा। यह प्लांट एक किलोवाट से पांच सौ किलोवाट क्षमता तक होंगे। यह बिजली न केवल निशुल्क होगी, बल्कि प्रदूषण मुक्त भी होगी।
सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए यदि आपके पास एकमुश्त पैसा नहीं है तो आप बैंकों से लोन भी ले सकते हैं। वित्त मंत्रालय के निर्देश पर बैंक घर की छत पर सोलर पैनल लगाने के लिए सस्ती ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराते हैं।
अगर आप 1100 यूनिट सालाना सोलर पावर जनरेट करते हैं तो आपको दिल्ली सरकार जनरेशन बेस्ट इंसेंटिव भी ले सकते हैं।
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सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।
केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।
याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।
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