Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

बड़े बालों की ख्वाहिश रखने वाला लड़का, क्यों हिन्दू धर्म से नफ़रत करने लगा है?

Published

on

Loading

नई दिल्ली। हम आधुनिकता का स्कार्फ चाहे जितना ओढ़ लें, पर परम्पराओं की चद्दर हमें कभी न कभी लपेटनी ही पड़ती है। लेकिन नए ज़माने के लड़कों को कई बार ये चद्दर रास नहीं आती और वो इसके मूल कारण से नफ़रत करने लगते हैं। ऐसा ही होता है उन हिन्दू लड़कों के साथ, जो बड़े बाल रखने की ख्वाहिश रखते हैं। इसलिए क्योंकि हिन्दू धर्म में मुंडन संस्कार जीवन के सभी संस्कारों में एक अहम परंपरा है।

समय-समय पर जिन कारणों से हिन्दू लड़कों को मुंडन करवाना पड़ता है, वो कारण उनके मन में हिन्दू धर्म के प्रति ही घृणा का भाव लाने लगते हैं। लेकिन मुंडन क्यों करवाया जाता है, इसके पीछे का कारण बहुत कम लोगों को पता है। इसलिए अक्सर लोग तमाम दंतथाओं के आधार पर अपनी विचारधारा बना लेते हैं। आज हम आपको हिन्दू धर्म में मुंडन संस्कार के पीछे का कारण बताएंगे। बाकि किस धर्म के प्रति आपको कैसा भाव रखना हैं, इसका फैसला आप अपने विवेक से कर सकतें हैं।

हिन्दू धर्म में क्यों होता है मुंडन?

मुंडन यानी सिर के सारे बाल कटवाना। हिन्दू धर्म में मुंडन कराना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है। कई लोग तिरुपति और वाराणसी जैसे पवित्र स्थानों पर जाकर मुंडन करवाते हैं। इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं। जैसे, कई लोग बालों को ग़ुरूर का चिन्ह मानते हैं, जिसे भगवान के आगे दान कर देते हैं, कई लोग बाल अपनी मन्नत पूरी होने के बाद भी दान करते हैं।

बाल नहीं ये अहंकार का प्रतीक है:

हिंदू धर्म में जन्म और पुनर्जन्म पर विश्वास किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि बच्चे के मुंडन से बाद वह अपनी पुरानी ज़िन्दगी के बंधनों से मुक्त हो जाता है। बालों को अहंकार का चिन्ह भी माना गया है। इसी वजह से मुंडन करवाकर हम अपना अहंकार त्याग देते है। ऐसा भी माना जाता है कि मुंडन कराने से बुरे विचार ख़त्म हो जाते हैं।

मन्नत पूरी होने पर मुंडन:

कई लोग मन्नत पूरी होने पर मुंडन करवाते हैं। मन्नत पूरी हो जाने के बाद लोग अपने बाल भगवान को अर्पित कर देते हैं। इस परंपरा का चलन तिरुपति और वाराणसी में बहुत है।

दाह संस्कार के बाद मुंडन:

हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद पार्थिव शरीर के दाह संस्कार के बाद भी मुंडन करवाया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि जब पार्थिव शरीर को जलाया जाता है तो उसमें से कुछ हानीकारक जीवाणु हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं। सिर पर चिपके इन जीवाणुओं को पूरी तरह से निकालने के लिए ही मुंडन कराया जाता है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending