Success Story
कभी होटल में बर्तन धोता था ये शख्स, आज है कई आलीशान रेस्टोरेंट का मालिक!
दक्षिण भारतीय भोजन का दीवाना लगभग हर भारतीय है। हो भी क्यों ना जितनी सादगी और स्वाद दक्षिण भारतीय भोजन में है उतना शायद किसी ने में नहीं। बात अगर दक्षिण भारतीय भोजन की हो तो सागर रत्ना को कैसे भूल सकते हैं आप। सागर रत्ना दरअसल दक्षिण भारतीय स्टाइल के खानपान का उम्दा रेस्टोरेंट है। आज सागर रत्ना रेस्टोरेंट की चेन लगभग पूरे भारत में है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस चेन को स्थापित करने वाला शख्स कभी 18 रुपए वेतन पर एक कैंटीन में प्लेट धोता था। लेकिन कठिनाइयों से हार न मानते हुए और अपने दम पर कुछ कर दिखाने की चाह ने उसे एक बड़ी और फेमस रेस्टोरेंट चेन का मालिक बना दिया। वह शख्स हैं जयराम बानन। आइए जानते हैं जयराम बानन के जीरो से हीरो बनने के सफर के बारे में-
जयराम बानन का जन्म मंगलौर (कर्नाटक) के पास स्थित ‘उडुपी’ में हुआ था। उनके पिता ड्राइवर थे और बहुत ही गुस्सैल स्वभाव के थे। जब जयराम स्कूल एग्जाम में फेल हो गए तो पिता से पिटने की डर से 13 साल में ही घर से भाग गए। घर से भागने के लिए उन्होंने अपने पिता के पॉकेट से कुछ पैसे निकाले और मंगलौर से मुंबई जाने वाली बस में सवार हो गए।
कई दिनों तक मुंबई में भटकने के बाद जयराम को एक छोटी कैंटीन में नौकरी मिली। इसमें प्लेट धोने से लेकर टेबल साफ करने का काम था। इसके लिए मासिक पगार 18 रुपए मिलती थी। जयराम ने प्लेट धोने और टेबल साफ करने का काम छह साल तक किया। प्लेट धोने के लिए सोडा का यूज़ होता था, जिससे इनका हाथ बुरी तरह से खराब हो गया था। इसके बावजूद बानन अपने काम में डटे रहे।
साल 1986 में बानन ने 5 हजार रुपए की सेविंग और दोस्तों-रिश्तेदारों से लोन लेकर डिफेंस कॉलोनी में सागर नाम से पहला आउटलेट खोला। यहां पर बानन को सप्ताह में 3,250 रुपए रेंट देने होते थे। इस आउटलेट में 40 लोगों के बैठने की जगह थी। पहले दिन की बिक्री 408 रुपए की हुई थी।
बानन ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए हुए इंटरव्यू में बताया कि दिल्ली में शुरुआती दिन काफी कठिन थे, क्योंकि लोग दक्षिणी भारतीय डिश से ज्यादा अवगत नहीं थे। लेकिन खुद पर भरोसा था। मैंने फाइव स्टार होटल की क्वालिटी की डिश की कीमत हलवाई की दुकान के बराबर रखी।
दिल्ली के लोग दक्षिण भारतीय डिश खाने के लिए वुडलैंड और दसप्रकासा (Dasaprakasa) रेस्टोरेंट में जाते थे। बानन को वुडलैंड रेस्टोरेंट लेने का मौका मिला। इस रेस्टोरेंट रेंट को लेने के लिए 34 लोगों ने आवेदन दिया, लेकिन बानन ने सबको पीछे छोड़ते हुए इस रेस्टोरेंट को हासिल कर लिया। फिर इसका नाम वुडलैंड से बदलकर सागर रत्ना रख दिया।
आज देश और विदेश में सागर रत्ना की कई फ्रेंचाइजी हैं। सिर्फ दिल्ली में ही इसके 30 से अधिक आउटलेट्स हैं। उत्तर भारत में 60 से अधिक आउटलेट्स हैं। विदेश में कनाडा, सिंगापुर, बैंकॉक जैसे देशों में भी आउटलेट्स हैं।
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सादगी की मिसाल फुटबॉलर सादियो माने: हर हफ्ते 1.4 करोड़ कमाई, रखते हैं टूटा फ़ोन
लंदन। इन दिनों सोशल मीडिया पर प्रतिदिन किसी न किसी सेलिब्रिटी के फोटो या वीडियो वायरल होना अब आम बात होती जा रही है, लेकिन वेस्ट अफ्रीका के स्टार फुटबॉलर सादियो माने की एक फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। उनकी या फोटो करीब ढाई साल पुरानी है जिसे देखकर हर कोई हैरान नजर आ रहा है और अरबों रुपए सालाना कमाने वाले इस प्लेयर की मिसाल दे रहा है।
सादियो माने की हाथ में दिखा टूटा i-phone 11
30 वर्षीय सादियो माने की जो फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है यह वही फोटो है जिसमे उनके हाथ में एक टूटा i-phone दिख रहा है जिसकी स्क्रीन टूटी हुई दिख रही है। यह फोटो करीब ढाई साल पुरानी यानी दिसंबर 2019 की है।
बता दें कि जिस वक़्त उन्हे इस टूटे फ़ोन के साथ देखा गया था, उस दौरान इनकी कमाई भारतीय रुपयों में हर सप्ताह 1 करोड़ 40 लाख थी। उन्हें कई जगह इसी टूटे हुए फोन के साथ देखा गया।
इसी साल साइन किया है 330 करोड़ का contract!
सादियो माने 2020 में इंग्लिश प्रीमियर लीग (EPL) में इंग्लैंड के एक सम्मानित फुटबॉल क्लब लीवरपूल के लिए खेलते थे और उन्होंने इसी साल 22 जून को जर्मनी के क्लब बायर्न म्यूनिख के साथ तीन साल के लिए करीब 330 करोड़ रुपये (40 मिलियन यूरो) का contract साइन किया है।
अपने टूटे हुए मोबाइल लेकर क्या बोले Sadio Mane
30 वर्षीय सादियो माने से जब उनके टूटे हुए फोन के बारे में पुछा गया तो उन्होंने इस सवाल ऐसा जवाब दिया जिसे सुनकर हर कोई उनकी सादगी का मुरीद हो गया। Sadio Mane ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि, ‘मैं फोन ठीक करवा लूंगा।’
जब उनसे नया फ़ोन खरीदने के लिए कहा गया तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैं ऐसे हजार खरीद सकता हूँ। मुझे 10 फरारी, 2 जेट प्लेन और 20 डायमंड घड़ियों की क्या जरूरत… मुझे ये सब क्यों चाहिए? मैंने गरीबी देखी है मैं पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पाया। मै फटे हुए जूते पहनकर फुटबॉल खेलता था, अच्छे कपड़े नही थे, खाने को नही था।
आज मुझे इतना कुछ मिला है तो मैं उसका दिखावा क्यों करूँ बल्कि इसके बजाये मैं उसे अपने लोगों के साथ बांटना चाहता हूं.”यही वजह है कि मैंने अपने देश में स्कूल बनवाए ताकि बच्चे पढ़ सकें, फुटबॉल स्टेडियम बनवाए हैं।’
इस बात को सुनकर हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थक रहा है,लोग उनकी मिसाल दुनियाभर में दे रहे हैं, क्योंकि अफ्रीकी देश के स्टार फुटबॉलर Sadio Mane अपने फोन को नहीं बल्कि अपने देश के गरीबों को ज्यादा तवज्जो देते हैं और उनकी मदद करने से भी कभी भी पीछे नहीं हटते।
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