प्रादेशिक
आप पीएम आवास तक करेगा विरोध मार्च, चार मुख्यमंत्रियों का केजरीवाल को खुलकर समर्थन
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और कार्यकर्ता उपराज्यपाल आवास पर धरने पर बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों को तवज्जो नहीं देने के विरोध में रविवार को प्रधानमंत्री आवास तक मार्च निकालेंगे।
आप के प्रवक्ता पंकज गुप्ता ने शनिवार को मीडिया से कहा, “दिल्ली एक ऐसा विशाल प्रदर्शन करने की तैयारी में है, जैसा हमने पहले किया था, जिसने इसके राजनीतिक परिदृश्य को बदलकर रख दिया था।” उन्होंने कहा, “हमने यथासंभव पूरी कोशिश की, लेकिन वे सुनने के लिए तैयार नहीं हैं।”
पंकज गुप्ता ने कहा कि न केवल पार्टी कार्यकर्ता, बल्कि आम जनता भी इस मार्च में हिस्सा लेगी, जोकि रविवार को मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन से शुरू होगा।
अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कैबिनेट मंत्री सत्येन्द्र जैन और गोपाल राय के साथ सोमवार शाम से उपराज्यपाल के आवास-सह-कार्यालय ‘राज निवास’ में धरना दे रहे हैं। जबकि मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन अनिश्चिकालीन भूख हड़ताल पर हैं।
केजरीवाल दिल्ली प्रशासन में काम कर रहे आईएएस अधिकारियों की अघोषित हड़ताल समाप्त करवाने, काम नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और गरीबों के घर राशन पहुंचाने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं।
नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने आए पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर प्रेस कान्फ्रेंस बुलाकर छह दिन से राजनिवास में धरना दे रहे अरविंद केजरीवाल के प्रति समर्थन प्रकट करते हुए उम्मीद जताई कि इस संवैधानिक संकट का हल जल्द निकाल लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां की जनता ने जिसे जनादेश दिया है, उसे काम नहीं करने दिया जा रहा है। तरह-तरह की बधाएं डालकर दिल्ली सरकार को सिर्फ इसलिए परेशान किया जा रहा है, क्योंकि वह भाजपा की विरोधी है।
उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री को उपराज्यपाल के आवास पर जाकर धरना देना पड़े, यह बहुत ही दुख की बात है। छह दिन हो गए हैं, लेकिन उपराज्यपाल केजरीवाल से मिल नहीं रहे हैं, बात नहीं कर रहे हैं, जिससे संवैधानिक संकट जैसी स्थिति बन गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रविवार को नीति आयोग की कार्यकारी परिषद की चौथी बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसका आयोजन यहां राष्ट्रपति भवन में किया जाएगा। इस बैठक में परिषद महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेगी, जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उठाए गए कदमों, प्रमुख योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय पोषण मिशन, मिशन इंद्रधनुष व अन्य की प्रगति शामिल है। दिन भर चलनेवाली इस बैठक में केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल समेत वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भाग लेंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आईएएस अधिकारी दबाव में हैं और उनकी हड़ताल भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) से प्रेरित है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी उनका रुख स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह भाजपा के साथ हैं या दिल्ली की जनता के साथ।
केजरीवाल ने कहा, “मेरे पास एक चपरासी का भी तबादला करने की शक्ति नहीं है, पर दीक्षित के पास अधिकारियों का तबादला करने और भ्रष्टाचार के आरोपों में उनकी गिरफ्तारी भी करवाने की शक्ति थी।”
इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे दिल्ली प्रशासन में काम कर रहे आईएएस अधिकारियों की हड़ताल 17 जून से पहले समाप्त करने का निर्देश दें, ताकि वह (केजरीवाल) नीति आयोग की बैठक में शामिल हो सकें।
(इनपुट आईएएनएस)
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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