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‘चांद’ नहीं तो ‘ईद’ नहीं, जानिए दोनों का खास रिश्ता

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ईद करीब है। यूँ तो अल्लाह की इबादत के लिए हर दिन पांच वक़्त मुक़म्मल है। फिर भी माह ए रमज़ान में अल्लाह तआला की इबादत का शवाब कुछ ज्यादा ही मिलता है। ईद को मद्देनज़र रखते हुए बाज़ारों की रौनक बढ़ गयी है। हर किसी को बस अब ईद के चांद का इंतज़ार है क्योकि अगर चाँद दिखा तो आज ईद मनेगी वरना नहीं। क्या आप जानते हैं कि ईद और चांद के बीच क्या ताल्लुकात है और क्यों बिना चाँद के दीदार किये ईद नहीं मनाई जाती।

दरअसल, ईद-उल-फितर हिजरी कैलेण्डर (हिजरी संवत) के दसवें महीने शव्वाल (शव्वाल उल-मुकरर्म) की पहली तारीख को मनाई जाती है। हिजरी कैलेण्डर, इस्लाम में काफी पाक माना जाता है क्योंकि इससे एक ऐतिहासिक घटना जुड़ी है, ये उस दिन से शुरू होता है, जिस दिन हजरत मुहम्मद साहब ने मक्का शहर से मदीना की ओर प्रवास किया था।

आपको बता दें , हिजरी संवत चांद पर आधारित कैलेण्डर है। इस संवत के बाकी के अन्य महीनों की तरह शव्वाल महीना भी ‘नया चांद’ देख कर ही शुरू होता है। यदि इस महीने का पहला चांद नजर नहीं आता है, तो माना जाता है कि रमजान का महीना अभी पूरा नहीं हुआ है, इसलिए ईद उसके 24 घंटे बाद यानी कि अगले दिन मनाई जाती है।

मूल रूप से मुसलमानों का त्योहार ईद भाईचारे को बढ़ावा देने वाला पर्व है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की नमाज अदा से पहले हर मुसलमान का फर्ज है कि वो दान दे, इस दान को जकात उल-फितर कहते हैं।

रोजा की समाप्ति की खुशी के अलावा ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर रोजा रखने की शक्ति दी। ईद का दिन उत्सव जैसा होता है इसलिए इस दिन बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफों का आदान-प्रदान होता है। सेवईं इस त्योहार मुख्य खाद्य पदार्थ है, इसी कारण ये ‘मीठी ईद’ कहलाती है।

 

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गृहमंत्री अमित शाह ने वाराणसी में काल भैरव मंदिर में की पूजा-अर्चना, बीजेपी की जीत का मांगा आशीर्वाद

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वाराणसी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और पीएम मोदी की जीत का आशीर्वाद मांगा।

बता दें कि गृह मंत्री बुधवार की शाम काशी दौरे पर पहुंचे थे। वे महमूरगंज के मोतीझील में पीएम नरेंद्र मोदी और वाराणसी से भाजपा प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया। फिर मोतीझील मैदान में जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने काशी के कार्यकर्ताओं में लोकसभा चुनाव को लेकर जोश भरने का काम किया। उसके बाद उन्होंने काशी में ही रात्रि विश्राम किया था। गुरुवार सुबह अचानक से दर्शन पूजन का प्लान तैयार किया गया था। इसके क्रम में प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में गृहमंत्री ने सबसे पहले काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन किया.

काशी के कोतवाल का दर्शन करने के बाद उन्हें विश्वनाथ मंदिर भी जाना था लेकिन अचानक से उनके कार्यक्रम में हुए बदलाव के बाद वह सीधे एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए, जहां से वह अगले कार्यक्रम के लिए जाएंगे। फिलहाल गृहमंत्री ने काल भैरव मंदिर में विशेष पूजन किया है। काल भैरव मंदिर के महंत नवीन गिरी का कहना है कि काल भैरव अष्टक के साथ उनका विशेष पूजन करवाया गया है ताकि सुख, शांति व समृद्धि के साथ उन्हें बड़ी जीत मिल सके।

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