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प्रादेशिक

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों से कहा, मौके का लाभ उठाएं

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जम्मू कश्मीर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादियों को एक सलाह दी कहा, सरकार से वार्ता का सुनहरा मौका न गंवाएं। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आतंकियों के ग्रेनेड से हमले और सुरक्षा बलों पर गोलियां बरसाने की लगातार हो रही घटनाओं पर चिंता जताई।

यहां एक सेतु के उद्घाटन के मौके पर सोमवार को उन्होंने कहा, “प्रदेश में अनिश्चितता के माहौल का खात्मा करते हुए स्थाई शांति कायम करने के लिए अलगाववादियों समेत सबको आगे आना चाहिए और जम्मू एवं कश्मीर के मसले सहित राज्य की सभी समस्याओं के समाधान के लिए गृहमंत्री के बातचीत के प्रस्ताव पर अमल करना चाहिए।”

उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मुझे लगता है कि राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह आगे इस बात पर निर्भर करेगी कि धरातल पर स्थिति कितनी अच्छी रहेगी।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “यह सुनहरा मौका है। ऐसा मौका बार-बार नहीं आता है। अत्यंत शक्तिशाली प्रधानमंत्री इस तरह का प्रस्ताव करता है। 18 साल पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में ऑपरेशन बंद किया गया था।”

उन्होंने कहा, “उस समय उपप्रधानमंत्री एल. के. आडवाणी ने अपने स्तर पर बातचीत की थी। लगता है कि वही प्रक्रिया अब फिर दोहराई जा रही है, लेकिन हम किसी पर दबाव नहीं डाल सकते हैं। हमें उम्मीद है कि अलगाववादी इस मौके का लाभ उठाएंगे।” (इनपुट आईएएनएस)

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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