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प्लास्टिक का प्रयोग बंद करें, विश्व पर्यावरण दिवस पर देश के नेताओं का आग्रह
विश्व पर्यावरण दिवस 2018 #WorldEnvironmentDay आज है। इस बार के पर्यावरण दिवस की थीम ‘बीट प्लास्टिक प्रदूषण’ है, और इस वर्ष भारत इसकी मेजबानी कर रहा है। इस बार सुबह सुबह ही देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग ढेर सारे लोग जो पर्यावरण की चिंता करते हैं उन्होंने भारत की जनता से आग्रह किया कि स्वच्छ ग्रह के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करें।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर कहा, “विश्व पर्यावरण दिवस पर हम एक स्वच्छ ग्रह के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। इस साल भारत वैश्विक समारोहों की मेजबानी कर रहा है और हमें अपने बच्चों को एक हरित और पर्यावरण अनुकूल विरासत देनी चाहिए।”
उपराष्ट्रपति एम. नायडू ने प्लास्टिक पर प्रतिबंध पर जोर देते हुए कहा, “आइए आज विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘बीट प्लास्टिक प्रदूषण’ के आधार पर प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने की प्रतिबद्धता जताएं। अब समय आ गया है कि हर शख्स पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक का प्रयोग बंद करें।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर कहा, “आइए, मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हमारी भावी पीढ़ियां एक स्वच्छ और हरित ग्रह पर सौहार्द के साथ रहेंगी।”
Greetings on #WorldEnvironmentDay. Together, let us ensure that our future generations live in a clean and green planet, in harmony with nature. pic.twitter.com/HYUNlCCQ2P
— Narendra Modi (@narendramodi) June 5, 2018
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोगों से खराब प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने का आग्रह किया।
On #WorldEnvironmentDay, let us raise awareness among the people for a cleaner and greener environment that can lead us to sustainable development. pic.twitter.com/8mPtUjPggl
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) June 5, 2018
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने स्वच्छ और हरित पर्यावरण के लिए जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया ताकि इससे सतत विकास हो सके।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी लोगों से प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करने का आग्रह किया।
कांग्रेस ने भी ट्वीट कर पर्यावरण को संरक्षित रखने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “पृथ्वी हमसे नहीं, बल्कि हम पृथ्वी की वजह से हैं।” (इनपुट आईएएनएस)
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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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