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मोदी सरकार ने जनता को दी नई सौगात, घर बैठे कमा सकते हैं 1 करोड़ रुपए!

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नई दिल्ली। अगर आप भी घर बैठे करोड़पति बनना चाहते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। मोदी सरकार जल्द ही आपको करोड़पति बना सकती है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या करना है कि मोदी सरकार बिना कुछ किए करोड़पति बना देगी तो आपको बता दें मोदी सरकार की मदद करके आप करोड़पति बन सकते हैं।

मोदी सरकार काले धन और बेनामी संपत्तियों पर रोक लगाने के लिए लगातार काम कर रही है। पिछले दिनों भी सरकार की तरफ से कहा गया था कि बेनामी संपत्ति की जानकारी देने वाले शख्स को इनाम दिया जाएगा। लेकिन अब वित्त मंत्रालय ने बेनामी संपत्तियों पर शिकंजा कसने के लिए एक करोड़ रुपये का इनाम देने की योजना शुरू की है। सरकार ने ‘बेनामी ट्रांजेक्शन इंफारमेंटस रिवार्ड स्कीम, 2018’ शुरू की है.

सरकार की इस योजना के तहत अगर कोई व्यक्ति निर्धारित प्रारूप में ज्वाइंट कमिश्नर या एडिशनल कमिश्नर को बेनामी संपत्ति की जानकारी देता है तो उसे 1 करोड़ रुपए से नवाजा जाएगा। 1 करोड़ रुपए की घन राशि प्राप्त करने के लिए आपको फाइनेंस मिनिस्ट्री के इन्वेस्टिगेशन डायरेक्टोरेट को बेनामी सम्पत्ति की जानकारी देनी होगी। जानकारी सही होने पर सूचना देने वाले को ‘बेनामी ट्रांजेक्शन इंफारमेंटस रिवार्ड स्कीम, 2018’ के तहत एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

गौरतलब है कि सरकार ने पिछले दिनों ही 1988 के बेनामी एक्ट को संशोधित कर बेनामी ट्रांजेक्शंस एक्ट, 2016 पारित कराया है. अब सरकार ने बेनामी संपत्तियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए लोगों का सहयोग बढ़ाने के लिए यह स्कीम शुरू की है. इस स्कीम का फायदा विदेशी नागरिक भी उठा सकेंगे. इसके तहत बेनामी संपत्ति की जानकारी देने वाले की पहचान को गुप्त रखा जाएगा.

इसके अलावा सरकार ने इनकम टैक्स इंफारमेंटस रिवार्ड स्कीम भी शुरू की है. इसमें इनकम टैक्स चोरी से संबंधित मामले की जानकारी देने पर 50 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा. इस स्कीम को सरकार ने आईटी एक्ट 1961 के तहत शुरू किया है. इसके अंतर्गत यदि कोई शख्स टैक्स चोरी के मामले में सूचना देता है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच में सहयोग देता है तो वह 50 लाख रुपये पाने का हकदार होगा.

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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