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अन्तर्राष्ट्रीय

इस्पात-एल्यूमीनियम पर आयात शुल्क मुद्दे पर अमेरिका से आर-पार की लड़ाई को तैयार दुनिया के देश

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ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे का कहना है कि वह अमेरिका द्वारा यूरोपीय संघ (ईयू) को इस्पात और एल्यूमीनियम आयात पर शुल्क लगाने के अनुचित फैसले से बहुत निराश हैं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने भी इस मुदृदे पर अमेरिका से वार्ता की इच्छा जताई है। भारत वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भी कहा है कि अमेरिकी यात्रा के दौरान अपनी बात को मजबूती से रखेंगे। कुछ देशों को जरूर अमेरिका से अस्थाई छूट है पर दुनिया के सभी देश आर पार की लड़ाई के लिए तैयार हो गए हैं।

अमेरिका से इस्पात के आयात पर शुल्क लगाने से ब्रिटेन निराश : ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे

अमेरिका से इस्पात के आयात पर शुल्क लगाने से ब्रिटेन निराश : थेरेसा

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, थेरेसा मे का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आयात शुल्क लगाए जाने के फैसले के एक दिन बाद शुक्रवार को सामने आया।थेरेसा मे ने बयान में कहा कि अमेरिका, ईयू और ब्रिटेन करीबी सहयोगी हैं और इन्होंने हमेशा दुनियाभर में खुले व निष्पक्ष व्यापार मूल्यों का प्रसार किया है।

उन्होंने कहा,”हमारे इस्पात और एल्यूमीनियम उद्योग ब्रिटेन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं लेकिन साथ ही यह अमेरिकी उद्योग में भी योगदान करते हैं, जिसमें रक्षा परियोजनाएं भी शामिल हैं, जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को सहारा देता है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “ईयू और ब्रिटेन को स्थाई रूप से इन शुल्कों से छूट दी जानी चाहिए और हम हमारे मजदूरों व उद्योगों की सुरक्षा एवं बचाव के लिए साथ काम करना जारी रखेंगे।”

इस्पात उत्पादों पर 25 फीसदी और एल्यूमीनियम पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया है, जो ईयू, कनाडा और मेक्सिको को प्रभावित करेगा। यह एक जून से प्रभावी हो गया है। एक जून को यूरोप के लिए इस्पात और एल्यूमीनियम पर अमेरिकी टैरिफ छूट समाप्त हो रही है। भारत ने भी अमेरिका से इन उत्पादों पर आयात शुल्क लगाए जाने से छूट देने की मांग की है।

व्यापार मतभेद पर अमेरिका के साथ वार्ता की इच्छा : जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल

मर्केल ने व्यापार मतभेद पर अमेरिका के साथ वार्ता की इच्छा जताई

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने स्टील और एल्यूमिनियम पर अमेरिका के साथ व्यापार विवाद पर चर्चा करने की इच्छा का संकेत दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मर्केल ने (29 मई) को बर्लिन में एक सम्मेलन में कहा कि वह अब भी उम्मीद कर रही हैं कि यूरोपीय संघ को अमेरिका के साथ अपने व्यापार विवाद को लेकर प्रतिशोध स्वरूप कार्रवाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मर्केल ने व्यापार मुद्दे पर ट्रंप के धमकी भरे और संरक्षणवादी दृष्टिकोण का संदर्भ देते हुए कहा कि इसके लिए सही जवाब तलाशने की जरूरत है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा कर कहा कि ईयू कंपनियों को केवल एक जून तक स्टील और एल्यूमीनियम पर यूएस टैरिफ से छूट दी जाएगी। अमेरिकी सरकार कारों पर भी आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रही है।

मर्केल ने मुक्त और निष्पक्ष वैश्विक व्यापार प्रणाली सुनिश्चित करने वाले विश्व व्यापार संगठन जैसे बहुपक्षीय संगठनों के महत्व को दोहराया।

तकरीबन एक माह पहले समाचार एजेंसी सिन्हुआ की खबर के मुताबिक, जर्मन स्टील उद्योग संघ के अध्यक्ष हांस जुएरगेन कर्कहॉफ ने एक समाचारपत्र को बताया कि 2018 के शुरुआती महीनों में रूस और तुर्की जैसे देशों के यूरोप से स्टील निर्यात में वृद्धि देखी गई है। कर्कहॉफ ने यूरोपीय संघ से आग्रह किया है कि वह ट्रंप के ‘पहले अमेरिका’ वाले सिद्धांत के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ प्रतिकारी कदम उठाए।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु 10 जून से वाशिंगटन और न्यूयॉर्क की यात्रा पर होंगे। अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका द्वारा इस्पात और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क बढ़ाने वाले मुद्दे पर चर्चा करेंगे। (इनपुट आईएएनएस)

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पाकिस्तान में अपने नागरिकों की मौत से भड़का चीन, घटना की गहन जांच की मांग की

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अपने चार नागरिकों की हत्या के बाद चीन भड़का हुआ है। गृह मंत्री मोहसिन नकवी हमले के तुरंत बाद चीन के दूतावास पहुंचे और राजदूत जियांग जैदोंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी हमले की कड़ी निंदा की, उन्होंने हमले को पाक चीन की दोस्ती को नुकसान पहुंचाने की साजिश बताया।

चीनी नागरिकों पर हुए हमले पर सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान के अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने कहा है कि यह हमला पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी की तरह है। ये बताता है कि पाकिस्तान को अभी सुरक्षा क्षेत्र में बहुत काम करने की जरूरत है। ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित लेख में उन्होंने इस हमले को उस हमले की कॉपी बताया जो 2021 में किया गया था, जिसमें 9 चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी। इस लेख में ये भी कहा गया है कि इस तरह के हमले बताते हैं कि आतंकी ताकतें चीन और पाकिस्तन के आर्थिक गलियारे की सफलता नहीं देखना चाहती हैं और लगातार इसे विफल करने की साजिश रच रही हैं।

उधर अपने नागरिकों की मौत के बाद चीन ने घटना की गहन जांच की मांग भी कर डाली है। पाकिस्तान स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान में कहा, “पाकिस्तान में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने आपात कार्य शुरू कर दिया है और पाकिस्तानी पक्ष से हमले की गहन जांच करने, दोषियों को कठोर सजा देने तथा चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए व्यावहारिक और प्रभावी उपाय करने की मांग की है।”

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