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आध्यात्म

शिव भक्‍तों की आस्‍था में चीन बना रोड़ा, मानसरोवर में नहीं लगाने दे रहा डुबकी

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चीन ने भले ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए नाथु ला दर्रा खोल दिया है, लेकिन वह अपनी मनमानी और अकड़ से बाज नहीं आ रहा है। अब खबरें ये भी आ रही हैं कि वह कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए यात्रियों को पवित्र मानसरोवर झील में डुबकी लगाने की मंजूरी नहीं दे रहा है।

जानकारी के अनुसार एक जत्थे ने इसकी शिकायत भी कर दी है। उनका आरोप है कि चीन के अफसर उन्हें यहां पवित्र झील में स्नान करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। करीब 20 दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने घोषणा करते हुए कहा था कि डोकलाम गतिरोध के बाद नाथू ला के रास्ते बंद की गई कैलाश मानसरोवर यात्रा चीन ने फिर से बहाल कर दी है।

चीन के तिब्बत वाले हिस्से नाथु ला दर्रा और उत्‍तराखंड के लिपुलेख दर्रा से हर साल कैलाश मानसरोवर के लिए श्रद्धालुओं को यात्रा कराई जाती है। यात्रा का आयोजन हर साल जून से सितंबर के बीच किया जाता है। पिछले साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान नाथू ला दर्रा बंद था। इस वजह से तीर्थयात्रियों को काफी मुश्किल हुई थी। यह रास्ता थोड़ा आसान माना जाता है। अब चीन ने श्रद्धालुओं के लिए इसे फिर से खोल दिया है।

केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार कुल 1 हजार 580 तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा करेंगे। यह यात्रा दो रास्‍तों से पूरी की जाती है। इस बार यात्रा में 18 बैच बनाए गए हैं। इनमें हर बैच में 60 तीर्थयात्री हैं। वे लिपुलेख दर्रे से जाएंगे, जबकि 10 बैच है जिनमें से हर बैच में 50 तीर्थयात्री होंगे, वे नाथू ला दर्रे से यात्रा पर जाएंगे।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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