प्रादेशिक
मप्र : सूखी 313 नदियों को जीवित करने की चुनौती
भोपाल| मध्यप्रदेश में छोटी नदियां लगातार सूखती जा रही हैं, कई इलाके तो ऐसे हैं जहां नदियों के निशान तक नहीं बचे हैं। राज्य सरकार ने भी 313 ऐसी नदियों को चिह्न्ति किया है जो सूख चुकी हैं। इन्हें पुनर्जीवित किया जाना है, लेकिन योजना अभी अधर में है।
राज्य की प्रमुख नदियों-नर्मदा, चंबल, बेतवा, क्षिप्रा, गंभीर, जामनी व धसान की हालत किसी से छुपी नहीं है, यह लगातार प्रदूषित हो रही हैं। साथ ही इनका प्रवाह भी प्रभावित हो रहा है। वहीं इन प्रमुख नदियों की सहायक नदियों के अलावा छोटी नदियां तो बारिश के मौसम में नजर आती हैं, लेकिन बारिश के बाद वे पूरी तरह सूख जाती हैं। इसके अलावा कई ऐसी नदियां हैं जिनमें बरसात में भी पानी नजर नहीं आता।
राज्य की नदियों की स्थिति को लेकर पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह ने दो वर्ष पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए नीति बनाने का प्रारूप दिया था। तब मुख्यमंत्री ने इस पर अमल का भरोसा दिलाया था। इस पर राज्य सरकार की ओर से चलाए गए अभियान में 313 नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए सर्वेक्षण और पैमाइश कर ली गई, लेकिन वह नीति अभी तक नहीं बनी है।
राज्य की नदियों के सूखने की मूल वजह पानी को रोकने का बेहतर प्रबंधन न होना रहा है। राजेंद्र सिंह कहते हैं कि फसलचक्र और वर्षाचक्र के बीच संबंध ठीक से स्थापित न किए जाने के कारण अधिकांश जल बह जाता है, वहीं कटाव को रोकने के बेहतर प्रबंध नहीं हैं। इसके अलावा भूजल पुनर्भरण की दिशा में भी काम नहीं हुआ है।
राज्य सरकार की ओर से जल संरक्षण-सुरक्षा की दिशा में पहल की जा रही है, लेकिन जल प्रबंधन की दिशा में कारगर पहल के अभाव में नदियां और स्थायी संरचनाएं गर्मी के मौसम में सूख जाती हैं।
इधर, जल जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह कहते हैं कि नदियों के सूखने की वजह स्थायी संरचनाओं का सूखना है। हिमालय क्षेत्र से निकलने वाली नदियों के अलावा अधिकांश नदियों का उद्गम तालाब, झील या नाले हैं, लेकिन आज यही तालाब और झीलें सूख रही हैं।
राज्य में बुंदेलखंड, बघेलखंड, मालवा, निमांड वह इलाका है, जहां पानी की समस्या किसी से छुपी नहीं है। हाल यह है कि पानी की किल्लत के कारण बुंदेलखंड में खेती पर संकट छाया रहता है और हर वर्ष कई परिवार रोजी-रोटी की तलाश में राज्य से पलायन कर जाते हैं।
राज्य में सूख चुकी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकारी स्तर पर चल रही कोशिश अगर कारगर साबित हुई तो पानी को लेकर होने वाले झगड़ों से निजात तो मिलेगी ही, साथ ही खेती- किसानी के काम भी आसान हो जाएंगे।
उत्तर प्रदेश
फतेहपुर सीकरी में बोले सीएम योगी- माफिया की कब्र पर फातिहा पढ़ने वालों को वोट के लिए तरसा दीजिए
फतेहपुर सीकरी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजकुमार चाहर के समर्थन जनता को संबोधित किया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनसभा में मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता का अभिवादन कर अपने संबोधन की शुरुआत की।
इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस-सपा और बसपा पर जोरदार हमला बोला है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस सपा और बसपा ने गरीबों के हकों पर डाका डालते थे इसलिये जनधन अकाउंट नहीं खोलने देते थे। ये लोग जनता को रसोई गैस के लिए तरसाते थे। किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर थे क्योंकि किसान सम्मान निधि जैसी कोई योजना नहीं थी। गरीब सर्दी में ठिठुरने के लिए मजबूर होता था और बरसात मे भूखा सो जाता था। सीएम योगी ने केंद्र सरकार के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि चार करोड़ गरीबों को मकान मिल गए। 12 करोड़ किसानो को किसान सम्मान निधि का लाभ मिला है। दस करोड़ परिवारों को उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस का कनेक्शन मिला है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस,सपा, बसपा, देख रहे हैं न, सभी लोग माफिया की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ रहे हैं। इनको बोलो कि जाओ वोट तो कमल निशान को जाएगा। तुमलोगों को पांच साल की छुट्टी दे रहे हैं फतिहा पढ़ो खूब।” आदित्यनाथ ने कहा, “अगर आप विरासत का सम्मान करते हैं तो जिन लोगों ने राम और कृष्ण पर प्रश्न खड़े किए थे आप उनको वोट के लिए तरसा दीजिए। जिन्होंने विकास की योजनाओं के लिए आपको तरसाया था, गंगा जल के लिए आपको तरसाया था। उनको वोट के लिए तरसा दीजिए।” उन्होंने कहा, “जातिवाद के नाम पर बांटने वाले लोग देश को कमजोर करना चाहते हैं। इन लोगों से सावधान रहिए। देखो अयोध्या में राम लला का दर्शन करवा रहे हैं तो माफिया और अपराधी का राम नाम सत्य भी करवा रहे हैं। दोनों काम एक साथ चल रहा है।”
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