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जो सहवाग और गंभीर दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए न कर सके वो ऋषभ पंत ने कर दिखाया
इंडियन प्रीमियर लीग 2018 के एक सीजन में दिल्ली के लिए 600 रन बनाने वाले दिल्ली डेयरडेविल्स के विस्फोटक बल्लेबाज ऋषभ पंत पहले बल्लेबाज बन गए हैं। दिल्ली डेयरडेविल्स दो बड़े और धुंआधार बल्लेबाज गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग भी अपनी टीम दिल्ली के लिए 600 रन नहीं बना सके।
ऋषभ पंत ने शुक्रवार को फिरोज शाह कोटला मैदान पर चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ खेले गए मुकाबले में 26 गेंदों पर 38 रन बनाए और अपनी टीम के लिए एक सीजन में 600 रन बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया।
ऋषभ पंत आइपीएल 11वें संस्करण में अब तक 31 छक्के लगा चुके हैं। ऋषभ पंत ने इस सीजन में 28, 47, 43, 85, 04, 04, 00, 79, 69, 18, 128, 61, 38 रनों की पारियां खेली हैं। उनकी इन तमाम पारियों के बावजूद दिल्ली की टीम प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो चुकी है।
विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने 10 मई को अपने घरेलू फिरोजशाह कोटला मैदान पर सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ 63 गेंदों पर 15 चौकों और सात छक्कों की मदद से 128 रन की नाबाद पारी खेली थी जो कि टी-20 प्रारूप में किसी भी भारतीय द्वारा गया सबसे तेज शतक है।
20 साल के पंत ने आईपीएल में अब तक कुल 37 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 34.82 के औसत से 1184 रन बनाए हैं। इसमें एक शतक और सात अर्धशतक शामिल हैं।
दिल्ली के लिए एक सीजन में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड इससे पहले गौतम गंभीर के नाम था, जिन्होंने 2008 में 14 मैचों में 41.07 के औसत से 534 रन बनाए थे। इसमें पांच अर्धशतक शामिल थे। पहले संस्करण में दिल्ली चौथे स्थान पर रही थी।
इस सूची में पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग तीसरे नंबर पर हैं। सहवाग ने 2012 में दिल्ली के लिए 16 मैचों में 33.00 के औसत से कुल 495 रन बनाए थे, जिसमें पांच अर्धशतक शामिल हैं।
वैसे अभी तक आईपीएल में सबसे अधिक रन बनाने वालों की लिस्ट :—
बल्लेबाज मैच रन उच्चतम स्कोर शतक/अर्धशतक
केएल राहुल (किंग्स XI पंजाब) 13 652 95* 0/6
केन विलियमसन (सनराइजर्स हैदराबाद) 13 625 84 0/8
ऋषभ पंत (दिल्ली डेयरडेविल्स) 13 620 128* 1/4
अम्बाती रायडू (चेन्नई सुपरकिंग्स) 13 585 100* 1/3
जोस बटलर (राजस्थान रॉयल्स) 13 548 95* 0/5
विराट कोहली (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर) 13 526 92* 0/4
सूर्यकुमार यादव (मुंबई इंडियंस) 13 500 72 0/4
शेन वॉटसन (चेन्नई सुपरकिंग्स) 13 438 106* 1/2
महेंद्र सिंह धोनी (चेन्नई सुपरकिंग्स) 13 430 79* 0/3
एबी डीविलियर्स (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर) 13 427 90 0/5
इनपुट आईएएनएस
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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