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नेशनल

अगर ऐसा न कर सके येदियुरप्पा तो बन जाएगी कांग्रेस-जेडीएस की सरकार

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सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को कर्नाटक विधानसभा में शनिवार शाम चार बजे बहुमत साबित करने के आदेश दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता बी.एस. येदियुरप्पा ने गुरुवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। येदियुरप्पा को अभी तक 15 दिनों का मौका मिला था। अब उनकी पेशानी पर बल पड़ रहे हैं। इसके बावजूद येदियुरप्पा को यह है कि वो विश्वास मत जीत लेंगे। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को भाजपा की नजरों और खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए अपने 36 विधायकों को बस से हैदराबाद भेज दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को कर्नाटक विधानसभा में शनिवार शाम चार बजे बहुमत साबित करने के निर्देश दिए हैं और तब तक उनके किसी भी तरह के नीतिगत फैसलों पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश ए.के. सीकरी, न्यायाधीश एस.ए. बोबडे और न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने शनिवार शाम चार बजे बहुमत साबित करने का आदेश देते हुए कहा कि विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य, अस्थाई स्पीकर नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे और फिर बहुमत परीक्षण कराएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी द्वारा दायर येदियुरप्पा की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बहुमत परीक्षण के लिए एक सप्ताह का समय देने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल के उस सुझाव को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बहुमत परीक्षण गुप्त मतपत्र के जरिए कराने की बात कही थी।

कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 104 सीटें जीती है, लेकिन वह बहुमत के लिए जरूरी 112 सीटों में से आठ सीट दूर हैं, जबकि कांग्रेस ने 78 और जेडीएस ने 37 सीटें जीती हैं।

कांग्रेस ने बाद में कहा कि जेडीएस को समर्थन देने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने एक एंग्लो-इंडियन सदस्य के नामांकन को भी रोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को नवनिर्वाचित विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

येदियुरप्पा को विश्वास मत जीतने का यकीन

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय के शनिवार को सदन में 4 बजे बहुमत साबित करने के आदेश का स्वागत करते हैं। हम अपना बहुमत साबित करने को लेकर आश्वस्त हैं।”

शीर्ष अदालत का सदन में बहुमत साबित करने का आदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक दिन बाद आया है।

राज्य विधानसभा के 12 मई को 222 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। भाजपा का यह आंकड़ा सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़े 112 से आठ कम है।

कांग्रेस, जेडीएस ने खरीद-फरोख्त रोकने के लिए विधायकों को हैदराबाद भेजा

कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने अपने विधायकों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए निर्वाचित विधायकों को हैदराबाद भेज दिया है। जेडीएस के प्रवक्ता रमेश बाबू ने बताया, “भाजपा से अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए हमने अपने 36 विधायकों को बस से हैदराबाद भेज दिया है।”

बाबू ने हालांकि स्पष्ट करते हुए कहा कि जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष एच.डी कुमारस्वामी बैंगलुरू लौट आए हैं। कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को भाजपा की पहुंच से दूर रखने के लिए अलग लक्जरी बस से हैदराबाद भेज दिया।

जेडीएस पार्टी के नेता डी.के. शिवकुमार

पार्टी के नेता डी.के. शिवकुमार ने यहां पत्रकारों को बताया कि पार्टी की प्राथमिकता अपने विधायकों को सुरक्षित रखना है।

शिवकुमार ने कहा, “हमारी प्राथमिकता हमारे सभी विधायकों को सुरक्षित रखना और जोड़-तोड़ से बचाना है। उनके परिवार पर काफी दबाव है, इसलिए कुछ विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया है, जबकि कुछ बेंगलुरू में ही हैं।”

कांग्रेस नेता ने हालांकि यह बताने से इनकार कर दिया कि पड़ोसी राज्य तेलंगाना के हैदराबाद में कितने विधायकों को भेजा गया है।

कुमारस्वामी चन्नापट्टना और रामनगर दोनों सीटों से जीते हैं। पार्टी के पास सहयोगी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वोट सहित 37 वोट हैं। जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष एक सीट के लिए वोट कर सकते हैं। बहुमत साबित करने के लिए जरूरी 112 सीटों से भाजपा चार सीट दूर है। चुनाव बाद गठबंधन बनाने वाले कांग्रेस और जेडीएस को भाजपा द्वारा बहुमत साबित करने के मकसद से अपने विधायकों को तोड़े जाने का भय है। (इनपुट आईएएनएस)

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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