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प्रादेशिक

रमजान में इन नम्बरों पर फ़ोन कर महिलाएं पूछ सकती हैं कोई भी सवाल

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रमजान के मुबारक महीने में मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद की तरफ से शिया महिलाओं के लिए हर साल की तरह इस साल भी विशेष हेल्पलाइन शुरू की जा रही है। यह हेल्पलाइन मजलिस की की तरफ से हर साल जारी की जाती है, ताकि महिलाएं भी अपनी मसायल पूछ सकें।

महिलाओं के लिए यह एक मात्र हेल्पलाइन है जो हर साल मौलाना कल्बे जवाद नकवी कह सरपरस्ती में चलाई जाती है। हेल्पलाइन पर पुरुष भी सवाल पूछ सकते हैं, लेकिन उनके लिए दूसरे हेल्पलाइन नंबर दिए जा रहे हैं। महिलाएं खहर बिन्ते जहरा नकवी साहेबा से सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक अपने सवाल पूछ सकती हैं। वे अपने सवाल व्हाट्सएप्प के जरिये भी पूछ सकती हैं, जिनका जवाब फौरन देने की कोशिश की जाएगी। महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नं. 09335735895 है।

पुरुषों से गुजारिश है कि वे मजलिस के ऑफिस इमामबाड़ा गुफरान मआब से ऑफिस के वक्त सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक संपर्क कर सकते हैं। फोन पर मसायल पूछने के लिए मौलाना निसार अहमद जैनपुरी, मौलाना इस्तेफा रजा से संपर्क किया जा सकता है। हेल्पलाइन नंबर हैं 0522-2263786, 9451096580, 09389967660 इन नंबरों पर पुरुष भी अपनी समस्याएं बता सकते हैं। (आईएएनएस/आईपीएन)

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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