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मुख्य समाचार

फिटनेस से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा लेना नहीं पसंद करते अधिकतर भारतीय

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भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली का मानना है कि पूरी तरह से फिट रहने पर ही वह मैदान और मैदान के बाहर मिलने वाली चुनौतियों का सामना कर पाते हैं। कोहली ने इसके साथ ही भारत की एक-तिहाई जनसंख्या द्वारा पिछले एक साल में एक बार भी शारीरिक संबंधी गतिविधियों में हिस्सा न लेने पर हैरानी जताई है।

प्यूमा इंडिया द्वारा किए गए एक शोध में यह स्पष्ट हुआ है कि देश की एक-तिहाई जनसंख्या ने पिछले एक साल में एक भी बार शारीरिक संबंधी गतिविधियों में हिस्सा नहीं लिया।

प्यूमा इंडिया की ओर से किए गए इस अध्ययन का उद्देश्य देश में शारीरिक गतिविधि और खेल के प्रति रुचि को समझना था। शोध ने अनुसार, गुडगांव में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां 54 प्रतिशत लोगों ने पिछले एक साल में एक बार भी शारीरिक गतिविधि नहीं की।

शारीरिक गतिविधि में इनडोर-आउटडोर की जाने वाली गतिविधियों- जैसे दौड़ना, चलना और खेलना आदि शामिल हैं। इसमें 57 प्रतिशत लोगों ने पिछले एक साल में कोई भी खेल नहीं खेला। गुडगांव में हुए सर्वेक्षण में शामिल 72 प्रतिशत लोगों ने पिछले एक साल में कोई भी खेल नहीं खेला। किसी भी प्रकार की गतिविधि में हिस्सा नहीं लेने वाले 58 प्रतिशत लोगों ने इसका मुख्य कारण समय की कमी को बताया।

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली।

इन परिणामों पर बयान में कोहली ने कहा, यह चैंकानेवाली बात है कि देश की एक-तिहाई जनसंख्या ने पिछले एक साल में कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं की। जब आप शारीरिक रूप से चुस्त होते हैं, तो आप चुनौतियों का सामना करने के लिए ज्यादा ऊजार्वान होते हैं। मैंने व्यक्तिगत रूप से इसका अनुभव लिया है और इसलिए मैं एक चुस्त जीवनशैली में भरोसा करता हूं।

विराट ने कहा कि वह छुट्टियों में भी जिम जाना नहीं छोड़ते। दो घंटे तक वह जिम में पसीना बहाते हैं। उन्होंने कहा, मैं चाहे सीरीज खेलता रहूं या ब्रेक पर रहं। मैं अपना अनुशासन बिगड़ने नहीं देता। मेरे फिटनेस का सीधा प्रभाव मेरे खेल पर पड़ता है। इसीलिए, मैं कड़ा प्रशिक्षण करता हूं और अपनी डाइट का सख्ती से पालन करता हूं।

शोध के अनुसार, 89 प्रतिशत प्रतिभागियों के पिछले एक माह में कम से कम एक बार खेल खेलने के आंकड़ों के साथ गोवा सूची में सर्वोच्च स्थान पर रहा। इसके बाद हैदराबाद और मुंबई शामिल हैं। गुरुग्राम, रायपुर और पटना इस सूची में काफी नीचे हैं, जहां इन शहरों के 18 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 12 प्रतिशत लोग पिछले एक माह में कम से कम एक बार खेले।

इस मौके पर प्यूमा इंडिया के प्रबंधन निदेशक अभिषेक गांगुली ने कहा, अध्ययन में भारत में शारीरिक गतिविधि के बारे में चैंकाने वाली बातें सामने आई हैं। यह आवश्यक है कि इस स्थिति के समाधान के लिए सही कदम उठाए जाएं। खेल खेलना एक सहज और प्रभावशाली समाधान है, जिसे दैनिक जीवन में क्रियान्वित किया जा सकता है।

इनपुट – आईएएनएस

नेशनल

कर्नाटक के मंत्री बोले- मोदी-मोदी के नारे लगाने वालों को थप्पड़ मारे जाने चाहिए

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बेंगलुरु। कर्नाटक के मंत्री शिवराज तंगाडागी ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाने वाले युवकों और छात्रों को थप्पड़ मारे जाने चाहिए। मंत्री ने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में वोट मांगने के लिए शर्म आनी चाहिए, क्योंकि वह विकास के मोर्चे पर भी विफल रही है।

“दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था”

तंगाडागी ने कहा, “उन्हें शर्म आनी चाहिए। वे विकास का एक काम तक नहीं कर पाए, फिर किस मुंह से वोट मांग रहे हैं। उन्होंने दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। क्या उन्होंने किसी को नौकरी दी। जब नौकरियों के बारे में पूछो तो वे कहते हैं- पकौड़े बेचो, उन्हें शर्म आनी चाहिए।” कोप्पल जिले के करातागी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, अगर कोई छात्र या युवक अब भी ‘मोदी-मोदी’ कहे तो उन्हें थप्पड़ मारे जाने चाहिए

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि ने मंत्री की टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आगामी लोकसभा चुनाव कांग्रेस के बहुत बुरी तरह से हारने को भांपकर वे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं और वे प्रधानमंत्री मोदी को तानाशाह कहते हैं!” भाजपा ने निर्वाचन आयोग को याचिका देकर मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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