Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

रमजान 2018: भीषण गर्मी में इस दिन सबसे लंबा रोजा रखना पड़ेगा मुस्लिम लोगों को

Published

on

रमजान

Loading

गुरुवार से रमजान का मुकद्दस महीना शुरु हो गया। रोजेदारों ने सुबह सेहरी कर आज से रोजा रखना शुरु कर दिया है। बुधवार की शाम को चांद दिखने का ऐलान होते ही सभी मुस्लिम लोगों ने एक दूसरे को बधाई देते हुए अमन चैन की दुआ मांगी। रमजान शुरु होते ही तरावीह का सिलसिला भी शुरु हो गया है।

रमजान

साभार इंटरनेट

इस बार रमजान में बढ़ती गर्मी की वजह से रोजेदारों को थोड़ी दिक्कतों का सामना करना प़ड़ सकता है। हांलाकि इस बार पिछली बार के मुकाबले 15 मिनट का अंतर हैं लेकिन भीषण गर्मी की वजह से यह अंतर कुछ भी नहीं है। इस बार रमजान के महीने में 5 जुमे पड़ सकते हैं। इस बार 14 जून को सबसे लंबा रोज़ा पड़ने वाला है।

रमजान

साभार इंटरनेट

हर बार रोज़े का वक्त 14 से 15 घंटे से पहले खत्म हो जाता है लेकिन 14 जून को सबसे लंबा रोज़ा 15 घंटे 6 मिनट का होगा। वहीं, 11 जून को शब-ए-कद्र मनाई जाएगी, इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर इबादत करते हैं। बता दें कि रमजान पूरे तीस 30 दिन का होता है।

इन तीस दिनों में मुस्लिम लोग रोजे, नमाज के साथ हर बुरी चीजों से दूर रहने की पूरी कोशिश करते हैं। रमजान के महीने को तीन भागों में बाटा गया है। पहले 10 दिन को रहमत का दिन कहा जाता है।

उसके अगले दस दिन को मगफिरत मतलब माफी का दिन का जाता है। जबकि अंतिम 10 दिनों को जहन्नुम की आग से बचने का दिन कहा जाता है।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

Published

on

Loading

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

Continue Reading

Trending