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मुख्य समाचार

इस किसान नेता के नाम से सरकारें कांपती थी, आज उन्हें याद कर लीजिए

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महेन्द्र सिंह टिकैत। जिसकी अगुवाई में किसानों की रंगों में हक मांगने और अपनी पहचान देश में बनाने का जज्बा जग जाता था। सरकारें किसानों के आंदोलन की घोषणा सुनने के बाद यह पूछती थी इनका नेता कौन है। जवाब में टिकैत का नाम सुनकर मांगें जल्दी जल्दी पूरा करने की कोशिश करतीं थी।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के एक बड़े नेता थे महेन्द्र सिंह टिकैत। भारतीय किसान यूनियन जो किसानों के बारे में सोचती थी, उनका हक दिलाने के लिए लड़ती थी, महेन्द्र सिंह टिकैत के पास उसकी बागडोर एक लम्बे समय तक थी।

महेन्द्र सिंह टिकैत उत्तर प्रदेश के किसान नेता तथा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष थे। टिकैत वर्षों सिर्फ किसानों की समस्याओं के लिए संघर्षरत थे और विशेष कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के जाट किसानों में उनकी भारी साख थी।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक जिला जो गन्ने, गुड़ व चीनी के लिए मशहूर है मुजफ्फरनगर, उसके सिसौली गाँव में चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत का (1935 वर्ष) जन्म हुआ था। आप सोच रहे होंगे कि अचानक चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत चर्चा में क्यों आ गए तो हम आपको बताते हैं, आज उनका निधन (15 मई 2011) हुआ था। पर उस नेता को आज कोई याद नहीं कर रहा है। जबकि कई लोग उनके बनाए आंदोलन से आज भी पैसा और नाम कमा रहे हैं।

चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ने दिसंबर 1986 में ट्यूबवेल की बिजली दरों को बढ़ाने के ख़िलाफ़ मुज़फ्फरनगर के शामली से एक बड़ा आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन जारी था, एक मार्च 1987 को किसानों के प्रदर्शन में पुलिस ने गोलीबारी कर दी, जिसमें दो किसान मारे गए। दोनों युवा किसानों का के शव को पुलिस उठा नही सकी। और जब टिकैत इन दोनों युवाओं का अस्थिकलश शुक्रताल में प्रवाहित करने गए तो इतने लोग ट्रैक्टर ट्राली, गाड़ियों और बाइकों के साथ थे कि एक सिरा शुक्रताल और दूसरा मुजफ्फरनगर को छू रहा था।

आपको एक घटना के बारे में बताते हैं वर्ष 1993 में भारतीय किसान यूनियन का वोट क्लब पर आंदोलन था। आंदोलन के नेता टिकैत के नेतृत्व में हजारों किसान वोट क्लब पर एकत्रित हुए। किसानों ने वहां कई दिनों तक डेरा डाला। किसान अपने साथ सैकड़ों पशुओं को भी ले आए थे। सभी किसान हुक्का पीते और विरोध करने की नई योजना बनाते आखिरकार तंग हार कर सरकार ने बाबा टिकैत को मांगें पूरा करने का आश्वासन दिया। बाबा टिकैत सरकार की बात मान धरना प्रदर्शन खत्म कर दिया।

इस घटना के बाद चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए। और कोई उन्हें बाबा, कोई महात्मा तो कोई चौधरी के नाम अपना समझकर प्यार से पुकारता था। टिकैत पूरे देश में घूम घूमकर किसानों के लिए काम किया। अपने आंदोलन को राजनीति से बिल्कुल अलग रखा।

नेशनल

कर्नाटक के मंत्री बोले- मोदी-मोदी के नारे लगाने वालों को थप्पड़ मारे जाने चाहिए

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बेंगलुरु। कर्नाटक के मंत्री शिवराज तंगाडागी ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाने वाले युवकों और छात्रों को थप्पड़ मारे जाने चाहिए। मंत्री ने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में वोट मांगने के लिए शर्म आनी चाहिए, क्योंकि वह विकास के मोर्चे पर भी विफल रही है।

“दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था”

तंगाडागी ने कहा, “उन्हें शर्म आनी चाहिए। वे विकास का एक काम तक नहीं कर पाए, फिर किस मुंह से वोट मांग रहे हैं। उन्होंने दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। क्या उन्होंने किसी को नौकरी दी। जब नौकरियों के बारे में पूछो तो वे कहते हैं- पकौड़े बेचो, उन्हें शर्म आनी चाहिए।” कोप्पल जिले के करातागी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, अगर कोई छात्र या युवक अब भी ‘मोदी-मोदी’ कहे तो उन्हें थप्पड़ मारे जाने चाहिए

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि ने मंत्री की टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आगामी लोकसभा चुनाव कांग्रेस के बहुत बुरी तरह से हारने को भांपकर वे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं और वे प्रधानमंत्री मोदी को तानाशाह कहते हैं!” भाजपा ने निर्वाचन आयोग को याचिका देकर मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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