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प्रादेशिक

जगन्नाथ मंदिर मार्ग का डॉक्यूमेंटेशन करेगा इनटैच

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भुवनेश्वर। शीर्ष गैर-सरकारी संगठन इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इनटैच) ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर तक पहुंचाने वाले 484 किलोमीटर लंबी जगन्नाथ मार्ग का संलेखन (डॉक्यूमेंटेशन) करेगा। संगठन के एक सदस्य ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इनटैच भारत के प्राकृतिक, सांस्कृतिक, रहन-सहन, मूर्त और अमूर्त विरासत के संरक्षण के लिए काम करता है। मार्ग के संलेखन और सूचीकरण से जगन्नाथ मार्ग के इतिहास के प्रति जागरूकता फैलाने और इस सड़क की खोई चीजों के संरक्षण में मदद मिलेगी।

एनजीओ के सदस्य अनिल धीर ने बताया कि इनटैच के राज्य संयोजक एबी त्रिपाठी के नेतृत्व में कोलकाता से पुरी जाने वाले जगन्नाथ मार्ग के अवशेषों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। धीर ने बताया, “तीन साल पहले, मैंने बैलगाड़ी से इस रास्ते पर यात्रा की थी। मुझे इस सड़क के किनारों पर प्राचीन काल में निर्मित विश्रामालयों, कुओं, टैंकों, पुलों, मंदिरों के अवशेष मिले थे।” उन्होंने बताया, “इस मार्ग की दुर्दशा पर जब मैंने प्रकाश डाला, तब इनटैच ने पिछले साल जून में इसके सूचीकरण और संलेखन के लिए एक परियोजना शुरू की थी।”

उन्होंने कहा, “हम इस साल जुलाई में पुरी में होने वाले भगवान जगन्नाथ के नवकलेवर महोत्सव से पहले इस मार्ग पर एक मुद्रित पुस्तक प्रकाशित करेंगे। पुस्तक में ऐसे सैकड़ों स्मारकों, ढांचों, कुओं और तालाबों आदि की तस्वीरें होंगी।” धीर ने बताया कि जगन्नाथ मार्ग संभवत: 17वीं सदी के अंत में बना था। यह पुरी जाने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए जीवन-रेखा था। वर्ष 1982 से इस सड़क को ओडिशा ट्रंक रोड के नाम से जाना जाने लगा, लेकिन इस राह से पुरी जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह जगन्नाथ मार्ग ही रहा।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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