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आईपीएल-11 : मुंबई इंडियंस परास्त, राजस्थान रॉयल्स की प्लेऑफ में पहुंचने की उम्मीद बाकी
इंडियन प्रीमियर लीग २०१८ के 47वें मैच में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में राजस्थान रॉयल्स ने रविवार मुंबई इंडियंस को सात विकट से करारी शिकस्त देते हुए अपनी प्लेऑफ में पहुंचने की उम्मीदों को जिंदा रखा। राजस्थान रॉयल्स के सलामी बल्लेबाज जोस बटलर की 53 गेंदों पर 94 रनों की आक्रामक पारी ने सबका दिल जीत लिया। जोस बटलर को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
Winning. ?#MIvRR #JazbaJeetKa #HallaBol #VIVOIPL @josbuttler pic.twitter.com/Fyg2XCLrGq
— Rajasthan Royals (@rajasthanroyals) May 13, 2018
राजस्थान की शुरुआत खराब रही और मेहमान टीम ने पहला विकेट 10 रनों के भीतर ही खो दिया। सलामी बल्लेबाज डार्सी शॉर्ट को चार के निजी स्कोर पर तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने पवेलियन की राह दिखाई। इसके बाद, बटलर और कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मेजबान टीम के गेंदबाजों पर प्रहार करना शुरू किया। बटलर ने मैदान के चारो ओर कलात्मक शॉट खेले, तो वहीं रहाणे ने एक छोर संभाले रखा।
राजस्थान को दूसरा झटका रहाणे के रूप में लगा। उन्हें हरफनमौला खिलाड़ी हार्दिक पांड्या ने आउट किया। रहाणे ने 36 गेंदों पर चार चौके की मदद से 37 रन बनाए।
इसके बाद, युवा बल्लेबाज संजू सैमसन ने बटलर का साथ निभाया। दोनों बल्लेबाज मिलकर राजस्थान को जीत के करीब ले गए। हार्दिक पांड्या ने 26 के निजी स्कोर पर सैमसन को आउट लेकिन वह अपनी टीम की हार नहीं टाल सके। सैमसन ने अपनी पारी में दो चौके और दो छक्के लगाए, उन्होंने कुल 14 गेंदे खेली। बेन स्टोक्स (0) नाबाद वापस लौटे। मुंबई की ओर से हार्दिक पांड्या ने दो और जसप्रीत बुमराह ने एक विकेट लिया।
इससे पहले, टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी मुंबई इंडियंस ने अपनी पहली पारी में 168 रन बनाए। मुंबई ने बेहतरीन शुरुआत की और सलामी बल्लेबाज इविन लुइस एवं सूर्यकुमार यादव ने पहले विकेट के लिए 87 रन जोड़े।
मुंबई को पहला झटका सूर्यकुमार यादव के रूप में लगा जिन्हें हरफनमौला खिलाड़ी जोफ्रा आर्चर ने पवेलियन भेजा। यादव ने सात चौकों की मदद से 38 रन बनाए। मुंबई पहले झटके से उबर पाता कि उससे पहले ही आर्चर ने कप्तान रोहित शर्मा को आउट कर दिया। शर्मा बिना खाता खोले ही पवेलियन लौट गए। मेजबान टीम ने जल्द ही लुइस के रूप में अपना तीसरा विकेट भी खो दिया। उन्हें तेज गेंदबाज धवल कुलकर्णी ने आउट किया। लुइस ने अपनी पारी में चार चौके और चार छक्के लगाए।
लगातार विकेट खो रही मुंबई इंडियंस को हरफनमौला खिलाड़ी जोफ्रा आर्चर और बेन स्टोक्स की किफायती गेंदबाजी ने और मुश्किल में डाला। इस दबाव का शिकार हुए ईशान किशन और क्रूणाल पांड्या। किशन को 12 के निजी स्कोर पर स्टोक्स ने आउट किया जबकि क्रूणाल को जयदेव उनादकट ने अपना शिकार बनाया। क्रूणाल केवल तीन रन का ही योगदान दे पाए।
इसके बाद, हार्दिक पांड्या ने मुंबई की लड़खड़ाती पारी को संभाला। पांड्या ने अपने नाम के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए बड़े शॉट खेलने शुरू कर दिए। उन्होंने तीन चौके और दो छक्के की मदद से 21 गेंदों पर 36 रन बनाए। पांड्या को अंतिम ओवर में स्टोक्स ने आउट किया। बेन कटिंग (10) जेपी ड्यूमिनी (0) नाबाद पवेलियन लौटे।
आर्चर ने चार ओवरों में 16 रन देकर दो विकेट लिए, जबकि स्टोक्स ने चार ओवर में 26 रन दिए। स्टोक्स को भी दो विकेट मिले। धवल कुलकर्णी और जयदेव उनादकट को एक-एक विकेट मिला। इनपुट आईएएनएस
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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