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प्रादेशिक

दुधमुंही से रेप पर कोर्ट सख्त, सिर्फ 23 दिन में सुनवाई कर फांसी की सजा सुनाई

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मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में कोर्ट ने करीब चार माह की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या मामले में लगातार सुनवाई कर ठीक 23वें दिन फैसला सुना दिया। दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई। नए कानून पॉक्सो बनने के बाद किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाने का यह पहला मामला है।

केंद्र सरकार ने पॉस्को क़ानून में संशोधन कर 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों के खिलाफ मौत की सजा के कानून को मंजूरी दी है।

मामला 20 अप्रैल का है जब अपने माता-पिता के साथ बच्ची सो रही थी। तभी दोषी नवीन उर्फ अजय गड़के ने बच्ची को उठा लिया और करीब के श्रीनाथ पैलेस बिल्डिंग में ले गया था, जहां उसके साथ दुष्कर्म किया। फिर उसकी हत्या कर दी। नवीन पीड़ित बच्ची के परिवार साथ ही रहता था।

जानकारी के अनुसार इस घटना में दोषी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। पुलिस ने मामले को दर्ज कर 27 अप्रैल को चालान पेश किया। जिला कोर्ट में 1 मई से सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लगातार सात दिनों तक सात-सात घंटे केस की सुनवाई की और सुनवाई 21वें दिन पूरी कर ली और 23वें दिन फैसला सुना दिया। कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक रहा।

मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा मुझे बच्ची के मां और पिता के लिए दुख है। यह घटना अमानवीय है। पर मुझे इस बात की संतुष्टि है कि कोर्ट ने अपना काम पूरा किया।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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