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बिजनेस

भारत में ऑनलाइन कारोबार का नया बादशाह बना वालमार्ट, 1,07200 करोड़ रुपए में बिक गई एक ​भारतीय कंपनी

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अमेरिका की खुदरा क्षेत्र की बड़ी कंपनी वालमार्ट ने भारत की ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर यानि 1,07200 करोड़ रुपए में खरीद ली है। वॉलमार्ट की ऑनलाइन स्पेस में ये सबसे बड़ी खरीदारी है। वॉलमार्ट इस अधिग्रहण के जरिए भारत में ऑनलाइन कारोबार का बादशाह बन जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक वॉलमार्ट इंक और फ्लिपकार्ट ने आज इस बड़े सौदे की घोषणा कर दी है। जापान का सॉफ्टबैंक समूह और टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट दोनों फ्लिपकार्ट में अपनी समूची करीब 20-20 फीसदी की हिस्सेदारी बेचेंगे।

दुनिया की सबसे बड़ी खुदरा कंपनी, वालमार्ट इंक ने बुधवार को घोषणा की कि वह देश के प्रमुख ई-टेलर फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में खरीद रही है। अराकांसस स्थित मुख्यालय वाली कंपनी ने अमेरिका में एक बयान में कहा, “वालमार्ट, फ्लिपकार्ट की शुरुआती 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए 16 अरब डॉलर (लगभग 1,07,662 करोड़ रुपये) का भुगतान करेगी, जो भारत में नियामकीय मंजूरियों के अधीन है।”

इस सौदे के तहत वालमार्ट अधिकांश शेयरों का अधिग्रहण कर फ्लिपकार्ट समूह का सबसे बड़ा शेयरधारक बन जाएगी और फ्लिपकार्ट में वालमार्ट के निवेश से कंपनी को अपने उपभोक्ता-केंद्रित मिशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे भारत में प्रौद्योगिकी के माध्यम से ई-कॉमर्स में बड़ा बदलाव आएगा।

बयान में कहा गया है, “यह निवेश भारत में निरंतर नौकरियों के सृजन और निवेश के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जो दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।”

फ्लिपकार्ट की बाकी की हिस्सेदारी कंपनी के वर्तमान शेयरधारकों के पास रहेगी, जिसमें बिनी बंसल, टेनसेंट होल्डिंग्स लि. टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट एलएलसी और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प शामिल हैं।

बयान में कहा गया है, “यह सौदा वालमार्ट को तेजी से बढ़ते बाजार में स्थानीय कारोबारी नेतृत्व के साथ साझेदारी का मौका देगा।”

इस सौदे पर रीटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा, “पूरे रीटेल उद्योग का प्रतिनिधि होने के नाते, आरएआई की नीति है कि यह व्यक्तिगत कंपनियों के बीच हुई डील्स पर टिप्पणी नहीं करती। लेकिन, कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां एफडीआई नीति के प्रेस नोट 3 के तहत जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं। ये कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से छूट एवं कीमत निर्धारण में हिस्सा नहीं ले रहीं हैं, जो नीति के खिलाफ है।”

निवेशकों की बैठक में वालमार्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डोग मैकमिलन ने कहा कि भारत कंपनी के लिए एक प्रमुख बाजार रहा है, क्योंकि यह सबसे बड़ी और उभरती हुई अर्थव्यवस्था है।

मैकमिलन ने कहा, “एक कंपनी के रूप में हम ग्राहकों की जरूरतों को पूरी करने के लिए इस प्रमुख बाजार में फ्लिपकार्ट के साथ काम करने की उम्मीद करते हैं।”

इस सौदे से भारत को लाभ होगा तथा ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण किफायती वस्तुएं प्राप्त होंगी, कौशलयुक्त रोजगार का सृजन होगा तथा छोटे आपूर्तिकर्ताओं, किसानों और महिला उद्यमियों के लिे अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने कहा, “भारत सबसे आर्कषक खुदरा बाजारों में से एक है और इसके आकार और वृद्धि दर को देखते हुए हमारा निवेश फ्लिपकार्ट के साथ साझेदारी का अच्छा मौका है, जो बाजार में ई-कॉमर्स में बदलाव का वाहक रही है।”

फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक बिनी बंसल ने कहा, “हमारी यात्रा के अगले चरण के लिए वालमार्ट एक आदर्श सहयोगी है और हम खुदरा और ई-कॉमर्स में साथ मिलकर काम करेंगे।”

सौदे के पूरा होने के बाद दोनों भागीदार एक-दूसरे की मजबूती का लाभ उठाएंगी, लेकिन अपने अलग-ब्रांडों और परिचालन संरचना को बरकरार रखेगी।

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मुंबई बना एशिया के अरबपतियों की राजधानी, बीजिंग को पीछे छोड़ा

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मुंबई। मुंबई में अरबपतियों की संख्या बीजिंग से अधिक हो गई है। हुरुन रिसर्च की 2024 ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार, मुंबई में 92 अरबपति हैं, जबकि बीजिंग में 91 अरबपति हैं। हालांकि चीन में भारत के 271 की तुलना में कुल मिलाकर 814 अरबपति हैं। ग्लोबल लेवल पर, मुंबई अब न्यूयॉर्क के बाद अरबपतियों के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, न्यूयार्क में अरबपतियों की संख्या 119 है। लिस्ट के मुताबिक, सात साल बाद लंदन 97 के साथ दूसरे स्थान पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “मुंबई दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते अरबपतियों की राजधानी है, इस साल इसमें 26 अरबपति शामिल हुए और यह दुनिया में तीसरा व एशिया में अरबपतियों की राजधानी बन गया है। नई दिल्ली पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुई।” भारत की आर्थिक शक्ति उसकी अरबपति आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि से और भी अधिक रेखांकित हुई। देश में आश्चर्यजनक रूप से 94 नए अरबपति जुड़े, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर किसी भी देश में सबसे अधिक है। कुल मिलाकर यहां 271 अरबपति हो गए। यह उछाल 2013 के बाद से सबसे ज्‍यादा है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते आत्मविश्‍वास का प्रमाण है।

2024 हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपतियों की संचयी संपत्ति चीन की प्रति अरबपति औसत संपत्ति (3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर बनाम 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) को पार करते हुए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग के लिहाज से फार्मास्युटिकल क्षेत्र 39 अरबपतियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग (27) और रसायन क्षेत्र (24) का स्थान है। सामूहिक रूप से भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 1 खरब डॉलर के बराबर है, जो वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति का 7 फीसदी है, जो देश के पर्याप्त आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।

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