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नेशनल

883 करोड़पति लड़ रहे हैं कर्नाटक विधानसभा का चुनाव

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निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में 12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों में 883 उम्मीदवार करोड़पति हैं, जबकि 645 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यहां कुल 2,654 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। दो निगरानी समूहों ने उम्मीदवारों द्वारा चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर यह जानकारी दी।

कर्नाटक इलेक्शन वॉच और दिल्ली स्थित लोकतांत्रिक सुधारों के संघ (एडीआर) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि इन चुनावों में 883 (35 फीसदी) उम्मीदवार करोड़पति हैं, जिनकी औसत संपत्ति 7.54 करोड़ रुपये हैं। 645 उम्मीदवारों में से 254 पर गंभीर आपराधिक मामले और 391 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

राज्य की 225 विधानसभा सीटों में से एक जयानगर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार बी.एन.विजय कुमार के निधन की वजह से चुनाव रद्द कर दिया गया है। राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय दलों से जुड़े 95 उम्मीदवारों की जानकारियों का विश्लेषण नहीं हो पाया, क्योंकि उनके हलफनामे सही तरह से स्कैन नहीं थे या चुनाव समिति और दक्षिणी राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइटों पर अधूरे थे।

चुनाव लड़ रहे बीजेपी के सभी 223 उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण हो गया है। बीजेपी के 223 में से 208 उम्मीदवारों की संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है, जो चुनाव लड़ रही सभी पार्टियों में सर्वाधिक है। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के 220 में से 207 उम्मीदवार, जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) के 199 उम्मीदवार और 1,090 में से 199 निर्दलीय उम्मीदवारों की संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है। वहीं, बीजेपी के उम्मीदवारों पर ही अपराध के सर्वाधिक मामले दर्ज हैं। कुल 223 उम्मीदवारों में से 83 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 58 के खिलाफ हत्या सहित गंभीर मामले दर्ज हैं।

सत्तारूढ़ कांग्रेस के 220 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया, जिसमें से 59 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 32 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। जेडी-एस के 199 उम्मीदवारों में से 41 पर आपराधिक मामले हैं जबकि 29 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुल 1,090 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 108 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 70 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
(इनपुट आईएएनएस)

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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