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प्रधानमंत्री रेड्डी बंधुओं को दिए गए आठ टिकटों पर पांच मिनट बोलेंगे : राहुल गांधी
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की 224 सदस्यीय सीटों के लिए 12 मई को चुनाव होने जा रहे हैं जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं कांग्रेस और भाजपा के बीच वाकयुद्ध तेज होते जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कर्नाटक चुनावों के नतीजों की घोषणा 15 मई को होगी।
Dear Modi ji,
You talk a lot. Problem is, your actions don’t match your words. Here’s a primer on your candidate selection in Karnataka.
It plays like an episode of “Karnataka’s Most Wanted”. #AnswerMaadiModi pic.twitter.com/G97AjBQUgO
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 5, 2018
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा के नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। राहुल ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, “प्रिय मोदीजी, आप बहुत बोलते हैं। समस्या यह है कि आपकी कथनी आपके शब्दों से मेल नहीं खाती। यहां कर्नाटक में आपके उम्मीदवारों के चयन पर पूरी पुस्तक है।”
इस ट्वीट के साथ राहुल ने एक वीडियो साझा करते हुए पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री रेड्डी बंधुओं को दिए गए आठ टिकटों पर पांच मिनट बोलेंगे।
राहुल ने कहा, “ऐसे किसी शख्स को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाना, जिस पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी के 23 मामले हैं? आप भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे अपने शीर्ष 11 नेताओं पर कब बोलेंगे।”
इस वीडियो में भाजपा के 11 उम्मीदवारों बी.श्रीअमुलू,जी.सोमशेखरा रेड्डी, टी.एच.सुरेश बाबू, कट्टा सुब्रमण्यम नायडू, सी.टी.रवि, मुरुगेश निरानी, ईएस ईएन कृष्णनैया शेट्टी मलुर, के.शिवानागौड़ा, आर.अशोक और शोभा करांदलजे के नाम बताए गए हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
राहुल ने कहा, “रेड्डी बंधुओं के 35,000 करोड़ रुपए के अवैध लौह अयस्क खनन घोटाले पर आपका जवाब चाहिए।”
कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए 12 मई को होने जा रहे चुनाव से पहले राहुल ने मोदी पर यह निशाना साधा है। कर्नाटक चुनावों के नतीजों की घोषणा 15 मई को होगी।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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