आध्यात्म
बाबा बद्रीनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खुले, हर ओर गूंजा बम-बम भोले का स्वर
चारधाम यात्रा का पड़ाव सोमवार को सुबह 4:30 बजे बाबा बद्रीनाथ के कपाट खुले। इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया। इसके साथ ही मंदिर में मौजूद भक्तों की भीड़ ने जमकर जयकारे लगाए। इससे पहले रविवार सुबह बाबा केदारनाथ के कपाट खोले गए थे।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुताबिक वर्ष 2017 में 4.09 लाख भक्तों ने गंगोत्री, 3.92 लाख ने यमुनोत्री, 4.71 लाख ने केदारनाथ और 8.85 लाख ने बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए थे। इस बार श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ सकती है। वहीं उत्तराखंड सरकार के मुताबिक इस बार श्रद्धालुओं का आंकड़ा 30 लाख तक पहुंच सकता है।
सोमवार को भगवान बद्रीनाथ के सिर्फ निर्वाण दर्शन होंगे। इस दिन भगवान को श्रृंगार नहीं किया जाता। विशेष पूजा भी नहीं होती। सिर्फ शाम को आरती होती है। अगले दिन से भगवान की विशेष पूजा की जाएगी।
आप को बता दें कि पिछले दो दिनों में बाबा बद्रीनाथ के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्त धाम पर पहुंच चुके थे। ऐसे में जब मंदिर के कपाट जनता के लिए खोले गए, वैसे ही बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ वहां उमड़ पड़ी।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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