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मुंबई इंडियंस के लिए है आज की रात कयामत की रात
आईपीएल 2018 में बने रहने के लिए मुंबई इंडियंस को रोकनी होगी चेन्नई एक्सप्रेस। आज है परीक्षा की घड़ी। मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा की कप्तानी वाली मुंबई को पिछले छह मैचों में से कप्तान सिर्फ एक मैच में जीत नसीब हुई है। आईपीएल 2018 में वह आठ टीमों की तालिका में सातवें नंबर पर है।
What time is it? It’s time to make it 13-11. ??
The boys are ready to turn things around. ?#CricketMeriJaan #CSKvMI #MumbaiIndians pic.twitter.com/MdwuXqXeAC
— Mumbai Indians (@mipaltan) April 28, 2018
दो साल के प्रतिबंध के बाद लौटी महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग छह मैचों में पांच मैच जीतकर शीर्ष पर है। दोनों टीमें लीग के 11वें सीजन में इससे पहले एक बार और भिड़ चुकी है जब चेन्नई सुपर किंग ने मुंबई इंडियंस को एक गेंद शेष रहते एक विकेट से हराया था।
मुंबई के साथ कई परेशानियां हैं। इन में सबसे पहले और सबसे चिंताजनक मुद्दा है उसकी बल्लेबाजी। बल्लेबाजों का न चल पाना मुंबई इंडियंस के लिए चिंता का विषय है। कप्तान रोहित और केरेन पोलार्ड पिछले छह मैचों में से पांच में विफल रहे हैं। सिर्फ सूर्यकुमार यादव ही कुछ अपनी बल्लेबाजी का जौहर दिखा पा रहे हैं।
रायॅल चैलेंजर्स बेंगलोर के खिलाफ 94 रन बनाने के बाद रोहित ने पिछली पांच पारियों में केवल 20 रन ही बनाए हैं। गेंदबाजी में मयंक मरक डे अच्छा कर रहे हैं, मरक डे ने अब तक छह मैचों में 10 विकेट लिए हैं। जसप्रीत बुमराह ने अब तक आठ विकेट झटके हैं। लेकिनए टीम एकजुट होकर प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।
दूसरी तरफ चेन्नई सुपर किंग ने एक बार फिर अपने प्रदर्शन से दिखा दिया है कि वह लीग की सबसे सफल टीम क्यों मानी जाती है। चेन्नई के लिए शेन वाटसनए अंबाती रायडूए ड्वेन ब्रावो और कप्तान महेंद्र सिंह धौनी शानदार फार्म में चल रहे हैं। रायडूए वाटसन और धौनी पिछले छह पारियों में अब तक क्रमशरू 283ए 209 और 191 रन बना चुके हैं।
टीम के पास बोर्ड पर बड़ा स्कोर खड़ा करने और किसी भी बड़े लक्ष्य को हासिल करने की ताकत है। गेंदबाजी में शार्दुल ठाकुर और दीपक चहर तेज आक्रमण की अगुवाई कर रहे हैं जबकि इमरान ताहिर और कर्ण शर्मा स्पिनर की भूमिका निभा रहे हैं। हरफनमौला खिलाड़ी वाटसन और ब्रावो भी अन्य गेंदबाजों का अच्छा साथ दे रहे हैं। चेन्नई के फार्म को देखते हुए उसे जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
टीम –
मुंबई इंडियंस- रोहित शर्मा कप्तान, जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या, केरेन पोलार्ड, मुस्तफिजुर रहमान, सूर्यकुमार यादव, क्रुणाल पांड्या, ईशान किशन, राहुल चहर, एविन लुइस, सौरभ तिवारी, बेन कटिंग, प्रदीप सांगवान, ज्यां पॉल ड्यूमिनी, तजिन्दर सिंह, शरद लुंबाए सिद्धेश लाड, आदित्य तारे, मयंक र्मक डेए अकिला धनंजय, अनुकूल रॉय, मोहसिन खान, एमडी निधीश, मिशेल मैक्लेघन, एडम मिलने।
चेन्नई सुपर किंग्स- महेंद्र सिंह धौनी कप्तान, विकेट कीपर रवींद्र जडेजा, सुरेश रैना, केदार जाधव, ड्वेन ब्रावो, शेन वाटसन, अंबाती रायडू, मुरली विजय, हरभजन सिंह, फाफ डु प्लेसिस, मार्क वुडए सैम बिलिंग्स, दीपक चहर, लुंगी नगिदी, केएम आसिफ, कनिष्क सेठ, मोनू सिंह, ध्रुव शोरे, क्षितिज शर्मा, चेतन्य बिश्नोई, कर्ण शर्मा, इमरान ताहिर, शार्दुल ठाकुर, एन जगादेसन।
इनपुट आईएएनएस
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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