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नेशनल

एक समय में रेलवे स्टेशन से अजमेर शरीफ तक तांगा चलाते थे आसाराम

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आध्यात्मिक गुरू कहलाने से पहले आसाराम अपनी जवानी में आसुमल सिंधी के नाम से जाने जाते थे। उस समय आसु अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए तांगा चलाया करते थे। वह रेलवे स्टेशन से दरगाह शरीफ के बीच आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को अपने तांगे से ढोया करते थे। उनके साथ उस समय तांगा चलाने वाले लोग बताया करते हैं कि आसाराम ने दो साल तक तांगा चलाया। तब उन्हें देखकर किसी को नहीं लगता था कि यह शख्स आगे चलकर इतना रसूखदार बन जाएगा।

आसुमल सिंधी अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए तांगा चलाया करते थे

तांगा स्टैंड के बाकी लोग आसाराम की किस्मत पर हैरान हैं और बताते हैं कि जब आसाराम धर्मगुरू के रूप में मशहूर हुए तो हमें बहुत हैरानी हुई। भारत में आसराम की कहानी बंटवारे के समय शुरू हुई जब वह 7 बरस की उम्र में पाकिस्तान के सिंध इलाके से भारत आए। आसुमल का परिवार पहले गुजरात में बस गया। उसके बाद 1963 में एक रिश्तेदार के बुलाने पर वे लोग अजमेर आ गए। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, वरिष्ठ वकील चरनजीत सिंह ओबेरॉय ने बताते हैं कि आसुमल के पिता परिवार समेत अजमेर के खारी कुई इलाके में रहने लगे। आसुमल बचपन से ही मेहनती थे और मेहनत, मजदूरी करके परिवार की मदद करने लगे।

तांगा स्टैंड के बाकी लोग आसाराम की किस्मत पर हैरान हैं

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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