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बिजनेस

तेजी से कर्ज़ वसूल सकेंगी गैर बैंकिंग फाइनेंस कम्पनियां

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चेन्नई | केंद्र सरकार द्वारा सिक्युरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फायनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्युरिटी इंटरेस्ट (एसएआरएफएईएसआई) अधिनियम के दायरे में गैर बैंकिंग फायनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) को लाने से उन कंपनियों द्वारा कर्ज वसूलने की प्रक्रिया तेज होगी। यह बात मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कही है। आम बजट 2015-16 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पांच अरब रुपये से अधिक संपत्ति वाली एनबीएफसी को एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के तहत ‘वित्तीय संस्थान’ का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा है।

मूडीज क्रेडिट आउटलुक के ताजा संस्करण के एक आलेख के मुताबिक, यह कदम ऐसी कर्जदाता कंपनियों के लिए साख बढ़ाने वाला है, जो आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति के आधार पर कर्ज देती हैं। शोध रपट के मुताबिक, तेज कर्ज वसूली का फायदा एनबीएफसी द्वारा सृजित रेसीडेंशियल मोर्टगेज-बैक्ड सेक्युरिटीज (आरएमबीएस) पर आधारित ‘संपत्ति पर कर्ज’ (एलएपी) को भी मिलेगा। आलेख के मुताबिक, “एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के कारण एलएपी के तहत आने वाली संपत्ति को एनबीएफसी तेजी से नियंत्रण में ले सकेगी, क्योंकि एनबीएफसी को यह अधिकार मिल जाएगा कि वह किसी ऋण को गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित करने के बाद 60 दिनों के भीतर ऐसे कर्ज को वापस करने की मांग कर सकेगी।” यदि कर्जदार नोटिस मिलने के बाद 60 दिनों के भीतर बकाए का पूरा भुगतान नहीं करता, तो कर्जदाता कंपनी संबंधित क्षेत्र के मुख्य महानगर दंडाधिकारी या जिलाधिकारी के सहयोग से संपत्ति को हस्तगत करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक, एनबीएफसी को ऋण वसूली और संपत्ति हस्तगत करने के लिए दीवानी अदालत का सहारा लेना पड़ता है और उसकी समय सीमा निर्धारित करना कठिन है। मुख्य महानगर दंडाधिकारी और जिलाधिकारी द्वारा कर्ज वसूली अपेक्षाकृत तेज होगी। शोध रपट के मुताबिक, सएआरएफएईएसआई अधिनियम के दायरे में आने से कर्जदाता कंपनियां कर्ज चुकाने में विफल रहने की स्थिति में कर्जधारक के कारोबार का प्रबंधन नियंत्रण अपने हाथ में ले सकेंगी। एलएपी में सक्रिय और सरकार के प्रस्ताव से लाभान्वित होने वाली एनबीएफसी में शामिल हैं चोलामंडलम इनवेस्टमेंट एंड फायनेंस, इंडियाबुल्स फायनेंशियल सर्विसिस, मैग्मा फिनकॉर्प, रिलायंस कैपिटल, रेलीगेयर फिनवेस्ट और फुलर्टान इंडिया क्रेडिट कंपनी।

बिजनेस

रिलायंस जियो ने बनाया कीर्तिमान, डेटा खपत में चीन को पीछे छोड़ बना दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल ऑपरेटर

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नई दिल्ली। भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में अपनी धाक जमाने के बाद रिलायंस जियो ने डेटा खपत के मामले में एक नया वैश्विक रिकॉर्ड कायम किया है। रिलायंस जियो, डेटा ट्रैफिक में वर्ल्ड की नंबर वन कंपनी बन गई है। पिछली तिमाही में कुल डेटा ट्रैफिक 40.9 एक्साबाइट दर्ज किया गया। वहीं दुनिया में डेटा ट्रैफिक में अब तक नंबर वन कंपनी रही चाइना मोबाइल लुढ़क कर नंबर दो पोजिशन पर पहुंच गई। उसके नेटवर्क पर डेटा खपत तिमाही में 40 एक्साबाइट से भी कम रही। चीन की एक और कंपनी चाइना टेलीकॉम डेटा खपत के मामले में तीसरे नंबर पर, तो भारत की एयरटेल चौथे नंबर पर रही। दुनिया भर की टेलीकॉम कंपनियों के डेटा ट्रैफिक, ग्राहक आधार पर नजर रखने वाली टीएफिशियंट ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी।

5जी सेवाओं के शुरु होने के बाद, रिलायंस जियो के डेटा खपत में पिछले वर्ष के मुकाबले 35.2 फीसदी का उछाल देखने को मिला। इस उछाल की मुख्य वजह है जियो का ट्रू 5जी नेटवर्क और जियो एयर फाइबर का विस्तार। जियो नेटवर्क रिलायंस जियो के तिमाही नतीजों के मुताबिक जियो ट्रू 5जी नेटवर्क पर 10 करोड़ 80 लाख ग्राहक जुड़ चुके हैं और जियो के कुल डेटा ट्रैफिक का करीब 28 फीसदी हिस्सा अब 5जी नेटवर्क से आ रहा है। दूसरी तरफ जियो एयर फाइबर ने भी देश भर के 5,900 शहरों में अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं।

हालिया जारी तिमाही नतीजों में कंपनी ने जो आंकड़े मुहैया कराए हैं उनके मुताबिक जियो नेटवर्क पर प्रति ग्राहक मासिक डेटा खपत बढ़कर 28.7 जीबी हो गई है, जो तीन साल पहले केवल 13.3 जीबी थी। बताते चलें 2018 में भारत में एक तिमाही का कुल मोबाइल डेटा ट्रैफिक मात्र 4.5 एक्साबाइट था।

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