ऑफ़बीट
900 साल पुराने इस पेड़ को बचाने के लिए चढ़ाई जा रही है ड्रिप से दवा
अस्पतालों में मरीजों को ड्रिप लगाकर दवाएं देना एक आम बात है लेकिन अगर किसी पेड़़ में सैकड़ों ड्रिप लगाकर दवाएं चढ़ाई जाएं तो आप हैरान रह जाएंगे। लेकिन तेलंगाना के महबूबनगर जिले के पास स्थित एक रिजर्व फॉरेस्ट इलाके में आजकल ऐसा ही नजारा देखा जा रहा है। जिस पेड़ का इलाज करने में तमाम डॉक्टर और वैज्ञानिक लगे हैं वह एक बरगद का पेड़ है। लेकिन यह कोई साधारण बरगद नहीं है, इसे देखने दुनिया भर से टूरिस्ट आते हैं, कई फिल्मों की शूटिंग भी यहां हुई है।
सदियों पुराना और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पेड़
इस बरगद की खास बात यह है कि यह लगभग 900 साल पुराना है। दुनिया के कुछ सबसे पुराने वृक्षों में इसकी गिनती होती है। चूंकि यह लगभग 4 एकड़ में फैला हुआ है इसलिए इसे दुनिया के दूसरे सबसे विशाल पेड़ का भी दर्जा मिला है। इस बरगद को पिल्लालमर्री नाम से भी जाना जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से यह दीमकों के हमले से ग्रस्त है। दीमक इसके तने और शाखाओं में इतने अंदर तक पैठ गई है कि इसकी विशाल डालियां टूटकर गिरने लगी थीं। इसी वजह से दिसंबर 2017 के बाद यहां पर्यटकों के आने पर पाबंदी लगा दी है।
World’s second largest Banyan tree in Pillalamarri of Mahabubnagar district in Telangana is on saline drip as part of the rejuvenation of the tree that is almost dying.The tree is given treatment by injecting diluted chemical to kill termite population that infested it. pic.twitter.com/0ADu5jbAd2
— ANI (@ANI) April 18, 2018
दीमकों के हमले से बेहाल लेकिन अब हालत सुधर रही है
ऐसे हालात देखते हुए पेड़ को बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं को इसके तने में इंजेक्ट किया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद डॉक्टरों ने एक अनोखा तरीका अपनाया और इस पेड़ पर दो-दो मीटर की दूरी पर सैकड़ों दवा की बोतलें ड्रिप लगाकर टांग दी गई। अब पेड़ की हालत स्थिर है। इस अनोखे पेड़ की देखरेख करने वालों ने इसकी विशाल और भारीभरकम शाखाओं को सपोर्ट देने के लिए उनके नीचे कंक्रीट के खंभे बनाने का फैसला किया है। जल्द ही इसे टूरिस्टों के लिए खोल दिया जाएगा लेकिन इस बार दर्शक इसे दूर से ही देख पाएंगे।
ऑफ़बीट
कल है रंगों का त्यौहार, जानिए होली पर क्यों पहना जाता है सफेद कपड़ा
फाल्गुन माह के शुरू होते ही होली के त्यौहार को मनाने की प्लानिंग शुरुआत हो जाती है। होली का त्यौहार ही एक ऐसा त्यौहार है जो खुद के साथ – साथ दूसरों के भी जीवन में रंग भरने का मौका देता है। होली का त्यौहार आने में अब कुछ ही दिन बचे हैं इस वर्ष खेलने वाली होली यानि धुलेंडी का त्यौहार 25 मार्च को होगा। तो चलिए जानते हैं होली के दिन किस रंग के कपड़े पहले से मिलेगा मान सम्मान और प्रत्येक क्षेत्र में सफलता।
अक्सर देखा जाता है कि होली के दिन लोग सफेद कपड़े पहनकर होली खेलने के लिए निकलते हैं। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इस बात पर गौर किया हो कि होली के दिन आखिर क्यों लोग सफेद कपड़े ही पहनते हैं। वैसे होली पर सफेद रंग के कपड़े पहनने के कई कारण होते हैं। तो चलिए आज इसी बात को जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों सफेद रंग को ही होली जैसे रंगों भरे त्योहार के लिए चुना गया है।
मन के साथ तन को उजला करने का त्यौहार है होली
होलिका दहन जो कि रंग खेलने वाली होली के दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन उबटन इत्यादि लगाकर होलिका में प्रवाहित करने का प्रावधान है। यह इसलिए होता है कि होली में मन से बुरे विचारों को निकालकर और शरीर से मैल रूपी बुरी चीजों को निकाल दिया जाए। इस दिन लोगों के मन के साथ तन भी उजला हो जाता है और यदि इसके साथ दूसरे दिन सफेद वस्त्र धारण करके होली खेली जाए तो उसमें पड़ने वाला रंग सकारात्मक और रंग-बिरंगा ही दिखेगा। इसलिए भी होली के दिन सफेद रंग के कपड़े पहनकर होली खेलना शुभ माना जाता है।
सफेद रंग है भाईचारे और सुख-समृद्धि का प्रतीक
सफेद रंग हमें लड़ाई-झगड़े भूलकर अपनों को फिर से गले लगाना सिखाता है। सफेद रंग को शांति, सुख-समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। यह रंग हमारे दिमाग को शांत रखता है। लोग होली के दिन सफेद रंग पहनकर प्यार, भाईचारे और मानवता को दर्शाते हैं। इस दिन सफेद रंग पहनने से मन शांत रहता है। जिन लोगों को बात-बात में क्रोध आ जाता है उन्हें विशेषकर इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
अच्छाई की जीत मनाने के लिए सफेद रंग पहनना शुभ
सफेद रंग निष्पक्षता और अच्छाई का प्रतीक होता है। रंग वाली होली खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और होलिका दहन की कहानी हम सभी अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे में त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन भी य़दि सफेद कपड़े पहनकर होलिका जलाई जाए तो समाज में आपके स्वभाव को पसंद किया जाता है।
ग्रहों की नकारात्मकता को कम करने से सफेद रंग कारगर
होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक लग जाता है। इस दौरान सभी मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं क्योंकि इस समय वातावरण में ग्रहों में नकारात्मकता बढ़ी हुई होती है। जिसको कम करने के लिए यदि सफेद रंग के वस्त्रों का प्रयोग किया जाए तो ग्रहों का नकारात्मक असर कम करने में मदद मिलती है और बिगड़े काम भी बनते हैं।
सफेद रंग देता है सूर्य की गर्मी से निजात
होली का त्योहार उस समय आता है जब ठंडक जा रही होती है और मौसम में थोड़ी गर्माहट की शुरुआत हो जाती है। सूर्य की धूप तेज होने लगती है। लोग तेज धूप की वजह से पहले ही परेशान होते है । ऐसे में सफेद रंग हमें ठंडक पहुंचाता है। इसे पहनकर आप कड़कती धूप में आसानी से बाहर निकल सकते हैं।
घुल-मिलकर रहना सिखाता है सफेद रंग
सफेद एक ऐसा रंग है जिस पर हर कलर खिलकर आता है। अब रंगों के इस त्योहार में सफेद से बेहतर और क्या हो सकता है। यह रंग हमें भी दूसरों के साथ घुल-मिलकर रहना सिखाता है। युवाओं को भी सफेद रंग काफी पसंद आता है। यह आपको एक क्लासी लुक भी देता है। जिससे लोगों के बीच आपका प्रभाव बढ़ता है। सफेद रंग पहनने से यश और कीर्ति भी बढ़ती है।
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