नेशनल
जख्मी जूतों के अस्पताल के विज्ञापन से प्रभावित हुए देश के मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा
अगर आपके जूते जख्मी हो गए हैं तो आप इन्हें अस्पताल में ले जाकर इनका इलाज कर सकते हैं। जी, इस फोटो में एक साहब ने जूते का अस्पताल खोला है, जिसका नाम जख्मी जूते का अस्पताल रखा है। यहां पर जूतों का इलाज करने वाले डाक्टर का नाम नरसीराम है।
अपने प्रचार के लिए लगाए बैनर में डाक्टर नरसीराम ने जिक्र किया है कि ओपीडी प्रात: 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक रहती है। इसके बाद लंच का भी समय है एक बजे से दोपहर दो बजे तक। और लंच के बाद ठीक दो बजे से अस्पताल फिर खुल जाता है और जूतों का इलाज करते हुए छह बजे बंद कर दिया जाता है।
विज्ञापन में डा नरसीराम कहते हैं जूता कोई भी सबका इलाज इस अस्पताल में होता है। और इलाज करने में जर्मन तकनीक अपनाई जाती है।
This man should be teaching marketing at the Indian Institute of Management… pic.twitter.com/N70F0ZAnLP
— anand mahindra (@anandmahindra) April 17, 2018
अब तक तो यहां सब ठीक था पर इस ट्वीट को देखकर मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा बहुत प्रभावित हुए, यह फोटो उद्योगपति आनंद महिंद्रा को व्हाट्सएप पर मिली थी, जिसे उन्होंने ट्वीट कर दिया। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने मोची के अपने काम की मार्केटिंग करने के तरीके की खूब तारीफ की।
मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने कहाकि, फोटो में दिख रहे इस आदमी को देश के मशहूर मैनेजमेंट संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) में मार्केटिंग पढ़ाना चाहिए।
आनंद महिंद्रा को व्हाट्सऐप पर किसी ने यह तस्वीर भेजी थी। इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया कि उन्हें नहीं पता कि यह फोटो कहा से और कब आया, यह फोटो कितनी पुरानी है।
महिंद्रा ने आगे लिखा कि अगर कोई उस व्यक्ति को खोज निकालता है और वह व्यक्ति अब भी यह काम करता है तो वह उसके स्टार्टअप में एक छोटा सा निवेश करना चाहते हैं। महिंद्रा के ऐसा कहने पर कई ट्विटर यूजर ने कई डा नरसीराम को ढूंढा और उनकी फोटो को पोस्ट किया।
Ye aaj ki photo hai sir. pic.twitter.com/JR07fD7YVU
— ramesh laller (@rockguy0184) April 17, 2018
Sir I have found another person with the same banner pic.twitter.com/SwQsqj4TGX
— Sanjeev (@sanjeev02309) April 17, 2018
यह फोटो तकरीबन 1500 बार रिट्विट हुई और इसको 6400 लोगों ने लाइक किया।
नेशनल
जो राम को लाए है, वो ‘राम’ के भरोसे है
कमल भार्गव
एक बरसों पुराना मशहूर भजन है ‘तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करें ..’। इन दिनों चल रहे चुनावी माहौल में इस भजन को कई मायनों में सटीक माना जा सकता है। पहला भारतीय जनता पार्टी द्वारा बीती जनवरी में अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति स्थापित कर एक मास्टर स्ट्रोक खेलना तो दूसरी तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश खास तौर पर मेरठ में भगवान राम का किरदार रुपहले पर्दे पर निभाने वाले अरुण गोविल को मरेठ-हापुड़ लोक सभा सीट पर अपना उम्मीदवार बना कर माहौल को राममय करने की कवायद की है।
देखा गया है कि बीजेपी खास तौर पर मोदी-शाह के फैसले ज्यादातर चौंकाने वाले होते रहे है। एक बार फिर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मेरठ-हापुड़ लोक सभा सीट पर हैट्रीक लगाने वाले मौजूदा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का टिकट काट कर रुपहले पर्दे के ‘राम’ अक्का अरुण चन्द्रप्रकाश गोविल को अपना प्रत्याशी घोषित कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। काफी हद तक को महानगर कि जनता को यह समझ नहीं आ रहा कि पार्टी का ये फैसला सही है या गलत है। हर किसी के अपने-अपने तर्क है। शहर की जनता का मानना है कि जो मिजाज और लोगों को एक स्थानीय नेता समझ सकता है वो एक बाहरी समझ से परे हो सकता है। देखा जाए तो ये तर्क इस लिए भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि सन 1952 से लेकर अब तक के लगभग सोलह लोक सभा चुनावों में से दस बार बाहरी प्रत्याशी ने इस सीट का नेतृत्व किया है। इसमें वर्ष 1951, 1957, 1962 व 1971 के चुनाव में शाह नवाज खान सांसद के तौर पर शामिल है। इसी प्रकार छठी, सातवीं व आठवीं लोक सभा में एक बार फिर से कांग्रेस कि कद्दावर नेत्री महोसिना किदवई को प्रत्याशी बना गया था और उन्होंने बाहरी प्रत्याशी के तौर पर तीनों बार चुनाव में जीते हासिल की थी। वहीं सन 1999 में भी कांग्रेस ने अवतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था ओर वो इस सीट से सांसद चुने गए थे।
ऐसे में एक बार फिर मौजूदा रुलिंग पार्टी ने टीवी धारावाहिक रामायण के राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण का चुनाव हो चुका है। अब सभी की निगाह दूसरे चरण पर है। भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही अपनी चुनावी अगाज पिछले कई चुनावों में करती आ रही है। इस बार पीए मोदी ने नारा दिया है ‘अब की बार चार सौ पार’। कहा जा सकता है कि भाजपा इस क्षेत्र में कोई चांस लेना नहीं चाहती है और खास तौर पर पहले और दूसरे चरण में अपनी पार्टी के लिए बढ़त बनने की पूरी कोशिश कर रही है। काफी हद तक माना जा रहा है कि मजबूत दावेदारी और प्रत्याशियों के मान मनोवल के लिए मेरठ अकेले में प्रधानमंत्री मोदी एक बार तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मात्र लगभग दो से तीन सप्ताह के अंतराल में तीन जन सभा तो एक सम्मेलन को समबोधित कर चुके है।
एक नजर राजनीतिक समीकरण पर डाले तो मेरठ समेत वेस्ट यूपी में किसान और गन्ना एक बड़ा मुद्दा रहा है, ऐसे में इस क्षेत्र को जाट लैंड के तौर पर भी माना जाता है। बाकी हर चुनाव में मतदान से पहले धर्म और जाति के नाम पर ध्रुवीकरण होना एक आम धारना है। 2024 के रण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक राहत तो सत्ताधारी पार्टी के लिए कम से कम है और वो है आखिर में राष्ट्रीय लोक दल से गठबंधन होना। माना जा सकता है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा जाना और जंयत चौधरी का साथ कही ना कही किसान और जाटों को एक जुट करने में मददगार साबित होगी। पर एकाएक ठाकुरों का एकाएक बीजेपी से नाराजगी जताना और दूरी बनाना भी एक चिंता का विषय बना हुआ है।
लेकिन अब सवाल है दलित – मुस्लिम – हिन्दू वोट बैंक का। इस बार के चुनाव में बीजेपी और आरएलडी एक साथ है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन चुनावी मैदान में है, तो वही मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी अकेले ही मोर्चा सँभाले हुए है। इसे रणनीति कहा जाए जा फिर सोची समझी चाल कि मेरठ – हापुड सीट पर किसी भी पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याशी को नहीं उतारा है। देखा जाए तो शायद ये ऐसा पहले मौका होगा। अब तक ये देखा गया है कि आखिर में चुनाव मेरठ और आसपास के शहरों में हिन्दू – मुसलिम के नाम ही होता रहा है। ऐसे में वोट धर्म – जात बिरादरी के नाम पर बिखरता नजर आ रहा है। माना जा सकता है कि मुस्लिम काफी हद तक समाजवादी पार्टी के तरफ जा सकता है तो दलित बहुजन समाजवादी पार्टी के अलावा अन्य दलों में बट सकता है। भगवा पार्टी को उम्मीद है कि उसके पक्ष में हर वर्ग जाति और समाज का वोटर है। ऐसे में ‘राम’ की एंट्री को बीजेपी अपना तुरप का इक्का मान रही है। पार्टी से जुड़े लोगों की माने तो ‘राम जी’ के आने से ना सिर्फ मेरठ में फर्क पड़ेगा बल्कि सम्पूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राम लहर देखी जा सकेगी।
‘राम’ के सक्रिय राजनीति में आने से अब पीएम मोदी और सीएम से लेकर पार्टी का हर छोटा और बड़ा कार्यकर्ता इसे अपनी प्रतिष्ठा मान रहा है। देखा जाए तो हर स्तर पर राम यानी अरुण गोविल के लिए जन सभा और समर्पक, रोड शो की जा रही है। लेकिन ऐसे में स्थानीय की जगह बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतरना और ‘राम’ बाण का चलाना कितना सफल रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा।
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