आध्यात्म
भगवान शिव के कैबिनेट मेम्बर होते हैं ये लोग, देखिए, हो सकता है आप भी हों?
नई दिल्ली। आप सुबह उठते हैं, अख़बार ऊपर नीचे करते हैं। ख़बरें पढ़ें न पढ़े, बॉलीवुड और राशिफल ज़रूर पढ़ते हैं। वो लोग भी अख़बार में छपने वाले राशिफल से प्रभावित हो जाते हैं जिनको अपनी राशि तक नहीं पता होती। लेकिन आज जो हम आपको पढ़ाने जा रहे हैं उसमे आपको अपनी राशि, कुंडली ढूँढने की कोई ज़रुरत नहीं हैं। आपको देखना है बस अपने नाम का पहला अक्षर और आप जान जाएंगे अपनी किस्मत। क्योंकि जिन लोगों का नाम इन 6 अक्षरों से शुरू होता है वो भगवान शिव के परम भक्त होते हैं और उनकी भक्ति से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। सीधे-सीधे कहें तो ये लोग भगवान शिव की पंचायत के पंचगण होते हैं।
S से…..
इस अक्षर के नाम वाले लोगों को भगवान शिव का अंश माना जाता है। इसके नाम वाले लोग भगवान शिव के बहुत करीब होते हैं। यह लोग भगवान शिव की पूजा सच्चे मन और हृदय से करते हैं। इन पर भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है।
R से…..
इस अक्षर के नाम वाले लोग भगवान शिव के बहुत करीबी माने जाते हैं। यह लोग अपने जीवन में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल करते हैं। इनको भगवान शिव की कृपा से हर कार्य में सफलता मिलती है।
C से…..
C से लोगों का नाम बहुत कम होता है लेकिन जिनका भी नाम इस अक्षर से होता है वो लोग अपने हर कार्य को करने से पहले भगवान शिव का नाम ज़रुर लेते है। जिससे इनकी काम में आ रही समस्याओं का तुरंत अंत हो जाता है और इनको उसमें सफलता मिल जाती है।
B से…..
यह लोग जीवन में कभी हार नहीं मानते हैं। भगवान शिव की कृपा से इनको कभी कोई समस्या नहीं होती है। यह लोग भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करते हैं।
N से…..
यह लोग पूरे जीवन भगवान शिव की पूजा अर्चना करते रहते हैं। इसलिए इन पर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है जिससे इन लोगों को हर दुख दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
M से…..
इस अक्षर के नाम वाले लोगों को भगवान शिव की कृपा से बड़े से बड़े कार्यों में सफलता मिलती है और इनकी सभी बिगड़े हुए कार्य पुनः आरंभ हो जाते हैं। इन लोगों का भगवान शिव में अटूट विश्वास बना रहता है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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