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विश्व कप : पाकिस्तान ने द. अफ्रीका को दिया 223 रनों का लक्ष्य
ऑकलैंड | पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने इडेन पार्क मैदान पर शनिवार को जारी आईसीसी विश्व कप-2015 के पूल-बी मैच में द. अफ्रीका के सामने 223 रनों का लक्ष्य रखा है। बारिश के कारण इस मैच में दो बार बाधा पड़ी और इसे देखते हुए इसकी प्रति पारी 47 ओवर की कर दी गई।
पाकिस्तानी टीम हालांकि पूरे 47 ओवर भी नहीं खेल पाई और 46.4 ओवरों में सभी विकेट गंवाकर 222 रन बनाए। कप्तान मिस्बाह उल हक ने सबसे अधिक 56 रन बनाए। इसके अलावा सरफराज अहमद ने 49 रनों का योगदान दिया। द. अफ्रीका की ओर से डेल स्टेन ने सबसे अधिक तीन विकेट लिए। पाकिस्तान की पारी के दौरान दो बार बारिश आई। पहली बार 37वें ओवर की समाप्ति के बाद बारिश आई। उस समय 20 मिनट तक खेल रुका रहा। इसके बाद 41वें ओवर के दौरान बारिश आई। दूसरी बार भी करीब 20 मिनट खेल रुका रहा। इसे देखते हुए मैच के ओवर घटा दिए गए। दूसरी बार जब खेल रोका गया था पाकिस्तान ने 40.1 ओवरों में पांच विकेट पर 197 रन बनाए थे। और पहली बार जब खेल रुका था, तब पाक का स्कोर पांच विकेट पर 175 रन था।
इससे पहले, द. अफ्रीका ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। पाकिस्तान ने 30 रनों के कुल योग पर अहमद शहजाद (18) के रूप में अपना पहला विकेट गंवाया। शहजाद ने 30 गेंदों पर चार चौके लगाए। इसके बाद सरफराज अहमद (49) और यूनिस खान (37) ने दूसरे विकेट के लिए 62 रनों की साझेदारी की। सरफराज 92 के कुल योग पर रन आउट हुए। उन्होंने 49 गेंदों का सामना कर तीन छक्के और पांच चौके लगाए। इसके बाद यूनिस खान का विकेट गिरा। 44 गेंदों पर चार चौकों की मदद से 37 रन बनाने वाले यूनिस ने कप्तान के साथ तीसरे विकेट के लिए 40 रन जोड़े। मिस्बाह ने इसके बाद शोएब मकसूद (8) के साथ चौथे विकेट के लिए 24 और उमर अकमल (13) के साथ पांचवें विकेट के लिए 19 रन जोड़े।
अकमल का विकेट 175 के कुल योग पर गिरा और इसके बाद मिस्बाह और शाहिद अफरीदी (22) ने छठे विकेट के लिए 37 रनों की साझेदारी की। अफरीदी ने 15 गेदों पर एक चौका और दो छक्के लगाए। उनका विकेट 212 रनों के कुल योग पर गिरा। वहाब रियाज (0) भी इसी योग पर आउट हुए जबकि कप्तान का विकेट 218 के कुल योग पर गिरा। कप्तान ने 86 गेंदों पर चार चौके लगाए। यह उनके करियर का 42वां अर्धशतक है। राहत अली (1) का विकेट 221 और सोहेल खान (3) का विकेट 222 रनों पर गिरा। द. अफ्रीका की ओर से स्टेन के अलावा मोर्ने मोर्कल और केल एबॉट ने दो-दो विकेट लिए जबकि इमरान ताहिर और अब्राहम डिविलियर्स को एक-एक सफलात मिली।
पाकिस्तान ने मौजूदा टूर्नामेंट में चार मैच खेलते हुए दो में जीत हासिल की है और उसके चार अंक हैं। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक और हार उसके क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के सपने को खटाई में डाल सकता है। दूसरी ओर, दक्षिण अफ्रीका के चार मैचों से छह अंक हैं और उसे अपना आखिरी मैच अपेक्षाकृत कमजोर टीम संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से खेलना है। ऐसे में उसका क्वार्टर फाइनल में पहुंच करीब-करीब तय है। पाकिस्तान ने पूर्व में विश्व कप में द. अफ्रीका का तीन मौकों (1992, 1996, 1999) पर दक्षिण अफ्रीका का सामना किया है और हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा।
नेशनल
पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।
जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।
शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।
फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।
दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-
2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा
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