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विश्व स्वास्थ्य दिवस : बीमारियां आपसे दूर भागेंगी, खाएं सुपरफूड

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बढ़ते शहरीकरण व स्वस्थ रहने की आदत ने लोगों को अपने भोजन में कई तरह के प्रयोग करने की वजह दे दी है। इसका नतीजा यह हुआ है कि बाज़ार में अोट्स, इंस्टेंट (जल्द तैयार हो जाने वाला) सैलेड और वेजीटेबल सूप जैसे उत्पादों की बिक्री बढ़ गई है। लेकिन इन उत्पादों के अलावा हम अपने घर पर बनाए जाने वाले परंपरागत नाश्ते को भी सेहतमंद बना सकते हैं। आज विश्व स्वास्थ्य दिवस ( ) पर आप स्वस्थ रहें, इसके पढ़िए यह खास रिपोर्ट।

बनारस में रहने वाली न्यूट्रीशन कंसल्टेंट संगीता खन्ना पिछले 10 वर्षों से स्वास्थ्यवर्धक पकवानों के बारें में लोगों को जागरूक कर रही हैं। सेहतमंद रहने के लिए कौन-कौन से पकवान खाएं, इसके लिए संगीता ‘हेल्थफूडदेशीविदेशी’ और ‘बनारस का खाना’ नाम के दो वेबसाइट भी चला रही हैं। संगीता ने इन पकवानों को सुपरफूड का नाम दिया है। उनकी वेबसाइट को पसंद करने वाले सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी तादात में हैं।

न्यूट्रीशन कंसल्टेंट संगीता खन्ना। ( फोटो – हेल्थफूडदेशीविदेशी )

डायबिटीज़ और दिल की बीमारियों को दूर रखेगा सुपरफूड

देशी पकवानों से सेहतमंद रहने के तरीके के बारे में संगीता बताती हैं,” भारतीय पकवानों में आयुर्वेदिक और मैक्रोबायोटिक तरीकों को अपनाकर स्वास्थ्यवर्धक खाना बनाया जा सकता है। नॉर्मल रेसिपीज़ और सुपरफूड में अंतर बस इतना है कि सुपरफूड में इस्तेमाल किए जाने वाली सामग्री उचित मात्रा में होती है।” वो आगे बताती हैं कि हेल्थफूडदेशीविदेशी में मैंने शुगर और हार्ट प्रॉब्लम को कम करने वाले ऐसे कई सुपर फूड बनाने की विधि समझाई है।

कई बड़े होटलों ने संगीता से सीखा है सुपरफूड बनाने का तरीका। ( फोटो – हेल्थफूडदेशीविदेशी )

संगीता खन्ना से सुपरफूड बनाने का ढंग और बनारस के खास पकवान तैयार करने की विधि जानने के लिए कनाडा, अॉस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में रहने वाले लोगों के अलावा बड़े भारतीय होटल उनकी वेबसाइट में दिए गए खाना पकाने के तरीकों को पसंद कर रहे हैं।

खजूर और मशरूम बनाएंगे दिल को मजबूत

दिल की बीमारियों को दूर करने के लिए मशरूम व खजूर को बहुत फायदेमंद माना गया है, इसलिए आप हेल्थफूडदेशीविदेशी में स्वादिष्ट मशरूम सूप और खजूर का बिस्कुट जैसा हल्का नाश्ता बनाना सीख सकते हैं। इसके अलावा आप कद्दू, गाजर और टमाटर जैसी सब्जियों को मिलाकर पास्ता जैसा हेल्दी नाश्ना भी तैयार कर सकते हैं, जो दिल को मजबूत रखेगा।

दिल की बीमारियों को दूर रखेगा मशरूम रूप और हर्ब पास्ता। ( फोटो – हेल्थफूडदेशीविदेशी )

काली गाजर का सूप और आंवला-कड़ी पत्ते की चटनी रखेगी सेहतमंद

संगीता की वेबसाइट हेल्थफूडदेशीविदेशी में शरीर की रोग प्रर्तिरोधक क्षमता बढ़ाने व हेल्दी डाइट के लिए काली गाजर का सूप और आंवला-कड़ी पत्ते की चटनी जैसे कई पकवान बनाने के तरीके बताए गए हैं। ऐसे ही ग्लूटन मुक्त भोजन और शुगर कंट्रोल करने वाले सुपरफूड बनाना भी आप हेल्थफूडदेशीविदेशी से सीख सकते हैं।

काली गाजर का सूप रखेगा आपको फिट एंड फाइन। ( फोटो – हेल्थफूडदेशीविदेशी )

आज दुनिया भर में रहने वाले लोग संगीता की वेबसाइट पर जाकर सेहतमंद रहने के पकवान (सुपरफूड) बनाना सीख रहे हैं और उनसे मिलने वाले फायदों के बारे में संगीता को बता रहे हैं। अगर आप भी सेहतमंद रहना का फंडा खोज रहे हैं, तो एक बार हेल्थफूडदेशीविदेशी पर ज़रूर जाएं और हमें बताइए कि अपको कौन सा सुपरफूड सबसे ज़्यादा पसंद आया।

नेशनल

पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा

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