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नेशनल

धारा 370 को छुआ नहीं जा सकता : महबूबा मुफ्ती

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नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का कहना है कि जनता अब नारों में नहीं बहती है और राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को ‘छुआ नहीं जा सकता है’। महबूबा का यह बयान राज्य में उसके साथ साझा सरकार बनाने वाली भाजपा द्वारा इस मुद्दे पर यथास्थिति बनाए रखने की बात कहने के दूसरे दिन आया है।  साथ ही पार्टी ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की मांग करती आ रही भाजपा के लिए यह पीछे हटना नहीं है। जो कि अक्सर विशेष दर्जा देने वाले इस प्रावधान को खत्म करने की मांग करती रही है।
पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि समय बदल रहा है, लोग बदल रहे हैं और अब भी नारों के दम पर चल नहीं सकता। ‘दो झंडे व एक पृथक संविधान वास्तविकता है, मैं इस विवाद में नहीं प़़डना चाहती। विशेष सशस्त्र बल कानून (अफस्पा) को चरणबद्ध ढंग से हटाकर और अनुच्छेद 370 पर यथास्थिति कायम कर हम राज्य के लोगों को उपहार देंगे।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने हालांकि, यह माना कि राज्य और शेष देश में कुछ आशंकाएं हैं। इसलिए उन आशंकाओं को दूर करने के लिये सख्त कदम उठाने की जरूरत है। महबूबा ने साफ़ किया कि उन्हें इस बात की चिंता नहीं हैं कि उनकी पार्टी और भाजपा के बीच गठबंधन कितनी देर चलता है। बल्कि इसके बजाय इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि दोनों पार्टियों के बीच जो राजनीतिक और विकास के एजेंडे पर सहमति बनी है उसे जल्द से जल्द लागू किया जाए।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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