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मनोरंजन

मुग़ल-ए-आज़म फिल्म के एक गाने के लिए इस मशहूर गायक को मिली थी 25 गुना फीस

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बड़े गुलाम अली खां, गज़ल , बॉलीवुड, संगीत

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भारतीय सिनेमा जगत में पुराने गायकों और संगीत के महारथियों को आज भी बड़े आदर से जाना जाता है, लेकिन अपनी लोचदार आवाज़ और बेहतरीन गज़ल गायन शैली के बल बूते पर उस्ताद बड़े गुलाम अली खां साहब ने भारत में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक नए आयाम तक पहुंचाया।

2 अप्रैल सन 1902 में जन्मे उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पटियाला घराने के गायक थे। उनका जन्म लाहौर (अब पाकिस्तान का हिस्सा) के नज़दीकी इलाके कसूर में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर समय लाहौर, मुंबई, कोलकाता और हैदराबाद में व्यतीत किया।

भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी हैं बड़े गुलाम अली खां की आवाज़ के चाहने वाले।

उस्ताद बड़े गुलाम अली ख़ां को संगीत विरासत में मिला था, उनके पिता अली बख्श खां कश्मीर के महराजा के दरबारी गायकों में से एक थे।  बड़े ग़ुलाम अली ख़ां ने संगीत की शुरूआती शिक्षा उन्हीं से ली थी। संगीत के गुर सीखने में उनकी मदद चाचा काले खां और बाबा शिंदे खां ने भी की।

हिंदुस्तान में सार्वजनिक तौर पर लोगों ने वर्ष 1919 के लाहौर संगीत सम्मेलन में बड़े गुलाम अली खां को पहली बार सुना। इसके बाद उन्हें कोलकाता और इलाहाबाद में हुए संगीत सम्मेलनों ने पूरे भारत में मशहूर कर दिया।

उस्ताद बड़े गुलाम अली खां

उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां अपने गायन में तरह तरह के  प्रयोग करते रहते थे। संगीत में इन प्रयोगों के बलबूते उन्होंने ठुमरी को एकदम नये अंदाज में ढाला, लोगों के साथ-साथ उस ज़माने के बड़े संगीतज्ञों को ख़ूब पसंद आया। भारतीय लोक गायन को एक अलग पहचान देने के लिए उन्हें भारत सरकार ने वर्ष 1962 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया।

एक गाने के लिए दिए गए थे 25 हज़ार रुपए

यूं तो भारतीय सिनेमा से उस्ताद बड़े गुलाम अली खां अपनी दूरी बनाए रखते थें, लेकिन इसके बावजूद फिल्म मुग़ल-ए-आज़म के लिए उन्होंने तानसेन के पात्र पर आधारित एक गीत को गाना मंजूर किया। फिल्म में गीत गाने का यह किस्सा भी बेहद दिलचस्प है।

फिल्म निर्माता के. आसिफ अपनी फिल्म मुग़ल-ए-आज़म को संगीत के लिहाज से भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार फिल्म बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपनी फिल्म में मोहम्मद रफी और लता मंगेश्कर जैसे बड़े गायकों से गाने गवाए। लेकिन फिल्म में इतिहास को जीवंत करने की धुन पाले फिल्म निर्माता के. आसिफ ने खां साहब को इस फिल्म से जोड़ने के बारे में विचार किया। जब आसिफ ने बड़े गुलाम अली खां के सामने फिल्म में गाने का प्रस्ताव रखा, तो खां साहब ने मन ही मन उनका प्रस्ताव टालने के लिए फिल्म में गाने के लिए 40 हज़ार रुपए की मांग की, जो उस ज़माने के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी। इस पर आसिफ ने उनसे कहा कि खां साहब हम तो, इससे भी बड़ी रकम मांगने की उम्मीद रख रहे थे।

लता जी के साथ बड़े गुलाम अली खां

ऐसा कहा जाता है कि बड़े गुलाम अली खां को फिल्म मुग़ल-ए-आज़म में ‘ प्रेम जोगन बनके ‘ और ‘ शुभ दिन आयो राजदुलारा ‘ गीतों को गाने के लिए उस समय 25 – 25 हज़ार रुपए दिए गए, जबकि उसी फिल्म में लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे गायक भी उस समय एक गीत के लिए हज़ार रुपए से कम पाते थे।

23 अप्रैल 1968 को उस्ताद बड़े गुलाम अली खां का देहांत हो गया , लेकिन कहते हैं कि संगीत को कोई सरहद रोक नहीं सकती। इसलिए आज भी भारत और पाकिस्तान में उस्ताद बड़े गुलाम अली खां के चाहने वालों की कमी नहीं है।

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शिंदे की शिवसेना में शामिल हुए गोविंदा, मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं चुनाव

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मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति से बड़ी खबर सामने आई है। बॉलीवुड एक्टर गोविंदा ने शिवसेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया है। बालासाहब ठाकरे भवन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी ज्वॉइन की। बताया जा रहा है कि वे मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

इस अवसर पर गोविंदा ने कहा कि एकनाथ शिंदे जी का धन्यवाद, आज के दिन शिवसेना जॉइन करने का मतलब भगवान से मिली प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी का सांसद रहा। अब चौदह बरस के बनवास के बाद शिवसेना में शामिल हुआ हूं। गोविंदा ने कहा मुंबई अब पहले सुंदर और विकसित दिखाई पड़ रही है। यहां विकास के काम हो रहे हैं ।

इससे पहले शिंदे गुट के नेता कृष्णा हेगड़े ने गोविंदा से उनके आवास पर मुलाकात की थी, तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि वे शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। सीएम एकनाथ शिंदे की ओर से गोविंदा को लोकसभा चुनाव लड़ाया जा रहा है। वे मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से ताल ठोक सकते हैं। शिवसेना यूटीबी ने अमोल कीर्तिकर को इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। अगर शिवसेना शिंदे गुट ने टिकट दिया तो गोविंदा मुंबई ईस्ट वेस्ट पर अमोल कीर्तिकर को कड़ी चुनौती दे सकते हैं।

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