आध्यात्म
ओडिशा : कोणार्क मंदिर में पर्यटन सुविधा केंद्र उद्घाटित
भुवनेश्वर, 1 अप्रैल (आईएएनएस)| ओडिशा में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने रविवार को उत्कल दिवस के जश्न के मौके पर कोणार्क के सूर्य मंदिर में एक अत्याधुनिक पर्यटन सुविधा केंद्र का उद्धघाटन किया।
राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 65 किलोमीटर दूर स्थित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के मध्य में 45 करोड़ रुपये की लागत से बने सुविधा केंद्र में मंदिर की अद्भुत वास्तुशिल्प विशेषताओं को दर्शाया गया है।
इस मौके पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधान ने मंदिर में पर्यटक अनुकूल मूलभूत व्यवस्थाओं और संबद्ध सुविधाओं को विकसित करने के लिए इंडियन ऑयल फाउंडेशन की सराहना की। उन्होंने घरेलू और विदेशी आगंतुकों के फायदे के लिए सुविधा केंद्र में सूर्य मंदिर की मूर्तिकला फिर से उतारने के लिए पद्मविभूषण रघुनाथ महापात्रा की भी तारीफ की।
भारत में यूनेस्को के प्रतिनिधि व निदेशक शिगेरु ओयागी ने कहा कि सुविधा केंद्र न केवल पर्यटकों को मंदिर के समृद्ध इतिहास के बारे में शिक्षित करेगा, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति पर भी प्रकाश डालेगा।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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