आध्यात्म
विश्व भोजपुरी सम्मेलन 7-8 अप्रैल को
नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)| विश्व भोजपुरी सम्मेलन का आयोजन 7-8 अप्रैल को किया जाएगा जिसमें राजपाल यादव, पवन सिंह समेत कई जाने माने कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
पूर्वाचल एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवजी सिंह ने एक बयान में कहा कि 10वें विश्व भोजपुरी सम्मेलन में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, रामविलास पासवान, मनोज तिवारी, अजय माकन, महाबल मिश्र, पवन सिंह, राजपाल यादव समेत तमाम लोग शिरकत करेंगे।
पूर्वाचल एकता मंच के उपाध्यक्ष विपुल मिश्रा ने बताया कि सम्मेलन में सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया है। इसके तहत चैता महोत्सव होगा जिसमें कमलवास कुंवर और तारकेश्वर ठाकुर की प्रस्तुति होगी।
उन्होंने कहा, हमारा प्रयास है कि भोजपुरी को संविधान की अष्टम सूची में लाया जाए। इसके लिए हम और हमारा मंच सतत प्रयासरत है।
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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